आपका तो अपने ही मजाक बना रहे

राहुल सिंह प्रभात खबर.कॉम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्ञानी व्यक्ति हैं. उन्हें विश्वविद्यालयी ज्ञान से ज्यादा लोक जीवन, व्यवस्था व राजनीति का ज्ञान है. इसलिए वे अपने प्रतिद्वंद्वियों पर तंज कसते हैं कि आप हार्वर्ड से आये होंगे, मैं यहां हार्ड वर्क से पहुंचा हूं.. आप मेरी किसी योग्यता को मानें या नहीं मानें एक बात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2015 3:05 AM

राहुल सिंह

प्रभात खबर.कॉम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्ञानी व्यक्ति हैं. उन्हें विश्वविद्यालयी ज्ञान से ज्यादा लोक जीवन, व्यवस्था व राजनीति का ज्ञान है. इसलिए वे अपने प्रतिद्वंद्वियों पर तंज कसते हैं कि आप हार्वर्ड से आये होंगे, मैं यहां हार्ड वर्क से पहुंचा हूं..

आप मेरी किसी योग्यता को मानें या नहीं मानें एक बात तो मानते ही होंगे कि मुझमें राजनीतिक सूझ-बूझ है. यानी कि वे सामने वाले के मन की बात की सही टोह ले लेते हैं. इसीलिए सोमवार को जब वे राज्यों के वन एवं पर्यावरण मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे, तो वहां मौजूद लोगों सहित देश-दुनिया को भरपूर ज्ञान देने के बाद बोले, ‘‘मुङो मालूम है कि मेरी इन बातों का मजाक उड़ाया जायेगा.’’ उन्होंने ये बातें सो-कॉल्ड अंगरेजीवालों व अंगरेजी मीडिया को निशाना बनाते हुए कही थीं.

यानी ‘कड़क’ मोदी जानते हैं कि उनकी बातों का मजाक भी उडाया जाता है, भले ही सामने किसी की कुछ कहने की हिम्मत न पड़ती हो. दरअसल, यही हकीकत है. मजाक उड़ानेवाले किसी का भी मजाक उड़ा देते हैं. दफ्तरों में बॉस की बातों का उनकी गैरहाजिरी में मजाक उड़ाया जाता है. नकल उतारना व मजाक उड़ाना आज बहुत से लोगों के लिए रोजी-रोटी है. टीवी चैनलों के लिए तो यह सास-बहू सीरियल की तरह एक अनिवार्य आइटम ही हो गया है.

भारतीय राजनीति भी मजाकिया शब्दों से कम संपन्न नहीं है. जैसे, एक पूर्व प्रधानमंत्री के लिए ‘मौनी बाबा’, तो दो बड़े वर्तमान नेताओं के लिए ‘पप्पू’ और ‘फेंकू’ शब्द का इस्तेमाल. एके 49, आरएसवीपी और टॉफी मॉडल जैसे शब्द भी खूब लोकप्रिय हुए. पर, मोदी जी! भले ही दूसरे लोग आपका मजाक उडाते हों, लेकिन आपके अपने लोग तो आपका मजाक बना रहे हैं.

मजाक उड़ाने से कहीं ज्यादा बुरा मजाक बनाना होता है. आपके मंत्री जनरल वीके सिंह ने तो पखवाड़े भर में दो बार ऐसा किया. उन्होंने मीडिया वालों को ‘प्रेसीट्यूट’ बना दिया है. इससे पहले वह अपनी ड्यूटी को सार्वजनिक रूप से घिन आनेवाला काम बता चुके हैं. एक अन्य मंत्री गिरिराज सिंह के कारनामे कहां तक बखाने जायें. रोड सेफ्टी का पाठ पढ़ानेवाले आपके मंत्री बिना हेलमेट स्कूटर चलाते हैं, तो विमानों की सुरक्षा के लिए जिम्मेवार मंत्री माचिस लेकर विमान में यात्रा करते हैं और कहते इसमें हर्ज क्या है?

लेकिन मजाक उड़ाना कई बार आम आदमी पर भारी भी पड़ा है. एक काटरून और फेसबुक पोस्ट ने जेल तक पहुंचा दिया. पर हाकिमों का कोई क्या कर लेगा? पिछले दिनों टीवी कलाकार सुगंधा मिश्र द्वारा लता मंगेशकर की उतारी गयी नकल पर तीखी प्रतिक्रिया आयी, लेकिन सबकी बात हवा में उड़ाते हुए लता दीदी बोलीं, यह आजाद देश है और हर कोई अपना व दूसरों का मनोरंजन करने के लिए स्वतंत्र है. मोदी जी! अपने फौजी मंत्री को कहिए कि वह भी लता दीदी से कुछ सीखें.

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