जन्म से ही स्त्री का जीवन दुश्वारी में
आये दिन अखबारों में हम कन्या भ्रूणहत्या के बारे में पढ़ते रहते हैं. संभवत: हम सभी इस शब्द का मतलब भली-भांति जानते भी होंगे. जब लोग लड़के की आस में लड़कियों को कोख में ही मार देते हैं, तो उसे कन्या भ्रूणहत्या कहा जाता है. यह भ्रूणहत्या कानूनी और सामाजिक तौर पर घृणित कार्य है. […]
आये दिन अखबारों में हम कन्या भ्रूणहत्या के बारे में पढ़ते रहते हैं. संभवत: हम सभी इस शब्द का मतलब भली-भांति जानते भी होंगे. जब लोग लड़के की आस में लड़कियों को कोख में ही मार देते हैं, तो उसे कन्या भ्रूणहत्या कहा जाता है. यह भ्रूणहत्या कानूनी और सामाजिक तौर पर घृणित कार्य है.
लड़कियों के जीवन में जन्म से ही परेशानियों के आने की शुरुआत हो जाती है. पहले तो यदि लड़कियां गर्भ में ही मारे जाने से बच गयीं, तो समाज के असामाजिक तत्वों की नजरों से बचना मुश्किल. उससे भी बच गयीं, तो घरेलू हिंसा से बचना कठिन. यदि इससे भी बच गयीं, तो पर्दा प्रथा और पुरुष प्रधान सोच से बचना मुश्किल है. हर कदम पर कठिनाइयां ही कठिनाइयां हैं. जिस देश में गौ और धरती को मां कहा जाता है, वहां स्त्रियों की यह दुर्दशा? यह सोचनेवाली बात है.
अभिलाषा त्रिवेदी, गिरिडीह