धन्य हैं आप झारखंड के भाग्यविधाता!

नहीं चाहिए मुङो पशुपालन विभाग, नहीं बनना है मुङो मंत्रिमंडल का हिस्सेदार, दूसरे को दो-चार और मुङो केवल एक से कहते हो चलाओ काम, धन्यवाद मुख्यमंत्री जी आपकी मेहरबानी के लिए! दरअसल ये नाराजगी के साथ अर्जी किसी भक्त की भगवान के दरबार में नहीं, बल्कि दो नये मंत्रियों का है, जिन्हें हेमंत सरकार के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2013 2:09 AM

नहीं चाहिए मुङो पशुपालन विभाग, नहीं बनना है मुङो मंत्रिमंडल का हिस्सेदार, दूसरे को दो-चार और मुङो केवल एक से कहते हो चलाओ काम, धन्यवाद मुख्यमंत्री जी आपकी मेहरबानी के लिए! दरअसल ये नाराजगी के साथ अर्जी किसी भक्त की भगवान के दरबार में नहीं, बल्कि दो नये मंत्रियों का है, जिन्हें हेमंत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में सेवा का मौका दिया गया है.

लेकिन इनकी मांगें हैं कि थमने का नाम ही नहीं लेतीं. शर्म आती है झारखंड की ओछी राजनीति देख कर. क्या राज्य के जन्म के यही मायने थे? अगर नहीं तो फिर क्यों कुरसी की लालसा राज्य के लोगों के सपनों पर भारी पड़ने लगी है? क्यों सियासत के सफेदपोश जनता के सरोकारों से कोई सरोकार नहीं रखते हैं?

आखिर क्यों ये लोग अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए दूसरे की नाव पर सवार होकर झारखंड के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं? कुरसी के नशे में ये अपनी पहचान क्यों भूल जाते हैं? क्या कुरसी की सियासत ही अब झारखंड का नियति बन गयी है? मिल गयी तो वाह-वाह, नहीं मिली तो घर में ही आंदोलन!

नवनीत कुमार सिंह,रांची

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