पश्चिम से स्त्री-पुरुष बराबरी भी सीखें

आज के आधुनिक युग में सभी का कहना है कि लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं है, पर क्या इस बात पर हम अमल करते हैं या ये सिर्फ कहने की बात है? आखिर सच्चई क्या है? अगर एक नजर अपने भारतीय परिवार पर डालें तो हर घर में एक ही दृश्य देखने को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 21, 2015 6:10 AM
आज के आधुनिक युग में सभी का कहना है कि लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं है, पर क्या इस बात पर हम अमल करते हैं या ये सिर्फ कहने की बात है? आखिर सच्चई क्या है?
अगर एक नजर अपने भारतीय परिवार पर डालें तो हर घर में एक ही दृश्य देखने को मिलता है कि हम लड़कियों से अपेक्षा करते हैं कि वह सारे घरेलू काम करे, लेकिन लड़का एक गिलास पानी तक खुद से नहीं उठाता.
लड़की सारे काम करे, फिर भी वह समाज का बोझ क्यों? गौर करने की बात है कि हम पाश्चात्य सभ्यता अपनाने पर तुले हुए हैं, लेकिन पुरुष सत्तात्मक समाज से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. पश्चिमी देशों में तो महिला और पुरुष दोनों मिल कर काम करते हैं. फिर चाहे वो बाहर के काम हों या घरेलू काम. फिर हमारे देश में ऐसा क्यों नहीं? क्या राष्ट्र निर्माण का हिस्सा लड़कियां नहीं हैं? ये भेदभाव क्यों?
सुभद्रा टुडू, बरकाकाना, रामगढ़

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