कहीं सिर्फ कागजों पर न हो काम
साठ सालों तक विपक्ष की दीर्घा में बैठनेवाली पार्टी जब प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी, तो सरकार बनते-बनते विश्व में नये-नये कीर्तिमान स्थापित करने पर वह आमादा हो गयी. यह सब करिश्माई व्यक्तित्व की देन है, जो एक झटके में गुजरात से निकल कर राजनीति की दुनिया का ध्रुवतारा बन गया. चंद महीनों […]
साठ सालों तक विपक्ष की दीर्घा में बैठनेवाली पार्टी जब प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी, तो सरकार बनते-बनते विश्व में नये-नये कीर्तिमान स्थापित करने पर वह आमादा हो गयी.
यह सब करिश्माई व्यक्तित्व की देन है, जो एक झटके में गुजरात से निकल कर राजनीति की दुनिया का ध्रुवतारा बन गया. चंद महीनों में करोड़ों बैंक खाते खुल जाना और करोड़ों सदस्यों वाली पार्टी बन जाने का कीर्तिमान भले ही स्थापित हो या न हो पाये, लेकिन आंकड़े चौंकानेवाले जरूर हैं.
दुनिया में शौचालयों की चिंता करनेवाले शायद हम इकलौता देश बन गये हैं. पहले यहां गिनती के शौचालय बनते थे, लेकिन अब हम गिनतियों में बनते नजर आ रहे हैं. आशंका है कि कहीं ये कागजों तक ही सिमट कर न रह जायें. देश के गरीबों के घर में शौचालय बनने का सपना धरा का धरा न रह जाये.
एमके मिश्र, रांची