जरा नेताओं की आय पर भी डालें नजर
बीते 14 अप्रैल को पाठक मत स्तंभ में एक व्यंग्यात्मक पत्र ‘पांच फीसदी के आ गये अच्छे दिन’ को पढ़ा. केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए केंद्र द्वारा प्रदत्त महंगाई भत्ता की 113 फीसदी राशि से अरविंद शर्मा को आपर कष्ट हुआ है. शायद उनके घर मे कोई सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी नहीं है. यह […]
बीते 14 अप्रैल को पाठक मत स्तंभ में एक व्यंग्यात्मक पत्र ‘पांच फीसदी के आ गये अच्छे दिन’ को पढ़ा. केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए केंद्र द्वारा प्रदत्त महंगाई भत्ता की 113 फीसदी राशि से अरविंद शर्मा को आपर कष्ट हुआ है.
शायद उनके घर मे कोई सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी नहीं है. यह लेख चिर-संचित दमित आक्रोश का विस्फोट है. विदित हो कि कर्मचारियों और पेंशनभोगी को उनकी सेवा तथा वर्तमान मुद्रास्फीति के मूल्यांकन पर ही महंगाई भत्ते की राशि प्रदान की जाती है. कुछ ऐसे भी पेंशनभोगी हैं, जिन्हें घर-परिवार का समर्थन नहीं मिलता.
वे पेंशन पर ही आश्रित हैं. जहां तक किसान-मजदूरों की बात है, तो सरकार फसल बीमा के जरिये समस्या का निवारण कर सकती है. उन्हें कर्मचारियों के बदले नेताओं पर नजर दौडा़नी चाहिए, जिनकी आमदनी दोगुनी बढ़ रही है.
सरयू वर्मा, मधुपुर