पार्टियों के माननीय नेता अपनी मनमानी पर उतर आये हैं और उन्हें अब किसी का कोई अंकुश मंजूर ही नहीं है.दागी सांसदों और विधायकों की सदस्यता खत्म करनेवाले माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नये प्रावधान को मंजूरी भी दे डाली है, जिससे दो साल से ज्यादा सजा पाये नेताओं की सदस्यता खत्म न होकर ऐसे ही बरकरार रहेगी. यह कितनी अजीब बात है?
जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत यह सहूलियत देनेवाली धारा 8 (4) को माननीय सुप्रीम कोर्ट में ‘लोकप्रहरी’ के महासचिव एसएन शुक्ला, फली नरीमन और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील 85 वर्षीया लिली थॉमस के अथक प्रयासों से बड़ी मुश्किल से राष्ट्रहित में असंवैधानिक हो पायी थी, जिस पर दुर्भाग्य से सत्ता की मजेदार मलाई काट रहे नेताओं ने पानी फेर कर सब चौपट कर दिया.
वेद मामूरपुर, ई–मेल से