खेलों की सूची से विलुप्त होती हॉकी
29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. हमारी देश में शायद ही राष्ट्रीय खेल हॉकी उतना लोकप्रिय है, जितना क्रिकेट. राष्ट्रीय खेल की महान हस्ती मेजर ध्यानचंद से आज की पीढ़ी शायद ही वाकिफ होगी. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है, तो इसमें लोग […]
29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. हमारी देश में शायद ही राष्ट्रीय खेल हॉकी उतना लोकप्रिय है, जितना क्रिकेट. राष्ट्रीय खेल की महान हस्ती मेजर ध्यानचंद से आज की पीढ़ी शायद ही वाकिफ होगी.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है, तो इसमें लोग दिलचस्पी क्यों नहीं लेते? सच तो यह है आज हॉकी गुमनामी के अंधेरों में कहीं खो गयी है. बात दूसरे देशो की करें तो वहां सभी खेलों पर बराबर ध्यान दिया जाता है. इसका उदाहरण ओलिंपिक जैसी स्पर्धाओं की पदक तालिका में देखने को मिलता है.
लेकिन हमारे भारत में क्रिकेट ने हॉकी जैसे बाकी सारे खेलों पर ग्रहण लगा दिया है. हमारे देश में तो कहां हॉकी का खेल हो रहा है, यह तक किसी को पता नहीं होता है. सरकार को चाहिए कि विभिन्न स्तरों पर हॉकी को बढ़ावा दे.
पालुराम हेंब्रम, सलगाझारी