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पहाड़ों को बचाने के लिए उठें कदम
नेपाल में आया भूकंप अपने साथ हजारों लोगों की जान ले गया और लाखों लोगों की आंखों में आंसू छोड़ गया. नेपाल की बात छोड़ भी दें, तो हमारा उत्तरी छोटानागपुर भी उसके झटकों को ङोलने से अछूता नहीं रहा. पठारों की वजह से यह क्षेत्र भूकंप से सुरक्षित माना जाता था, लेकिन पहाड़ों की […]
नेपाल में आया भूकंप अपने साथ हजारों लोगों की जान ले गया और लाखों लोगों की आंखों में आंसू छोड़ गया. नेपाल की बात छोड़ भी दें, तो हमारा उत्तरी छोटानागपुर भी उसके झटकों को ङोलने से अछूता नहीं रहा. पठारों की वजह से यह क्षेत्र भूकंप से सुरक्षित माना जाता था, लेकिन पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई और उत्खनन से यह खतरा बढ़ता ही जा रही है.
ऐसा लग रहा है कि आगामी कुछ दशकों में हमारे इस क्षेत्र से पहाड़ों को नामोनिशान तक मिट जायेगा. झारखंड में जितनी संख्या में पत्थरों का उत्खनन हो रहा है, उनमें से 10 फीसदी से भी कम लोगों के पास खनन पट्टा है.
भूकंप से झारखंड को सुरक्षित बनाने के लिए जल्द ही पहाड़ों की हिफाजत के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जिससे हमें और हमारी अगली पीढ़ी को यहां जन्म लेने और निवास करने पर गर्व महसूस हो.
पुरुषोत्तम, बरसोत, हजारीबाग
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