अफवाहों से निपटने में कारगर बने तंत्र

मनुष्यता के उद्दात मूल्यों का परीक्षण संकट के समय होता है. भूकंप से हुई तबाही ऐसा ही एक समय है. भारत समेत दुनियाभर से हरसंभव मदद नेपाल भेजी जा रही है. त्रसदी से नेपाल और भारत के पीड़ितों के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं. राहत और बचाव कार्य में सोशल मीडिया की भूमिका बहुत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2015 5:42 AM
मनुष्यता के उद्दात मूल्यों का परीक्षण संकट के समय होता है. भूकंप से हुई तबाही ऐसा ही एक समय है. भारत समेत दुनियाभर से हरसंभव मदद नेपाल भेजी जा रही है. त्रसदी से नेपाल और भारत के पीड़ितों के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं.
राहत और बचाव कार्य में सोशल मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन, दुर्भाग्यवश कुछ असामाजिक तत्व हजारों लोगों की मौत की आड़ में अफवाहें फैला रहे हैं. पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया में तेज भूकंप की भविष्यवाणी, पानी में जहर और चांद के उल्टा होने जैसी बेतुकी और बेमानी बातें प्रचारित की जा रही हैं.
भूकंप और परवर्ती कंपनों से लोगों का भयभीत होना स्वाभाविक है. इस वजह से ऐसी अफवाहों का प्रसार तेजी से होता है. जागरूकता के अभाव के कारण बहुत से लोग आधारहीन बातों को सही मान लेते हैं.
संतोष की बात है कि सरकार ने इसका संज्ञान लेते हुए लोगों को सचेत किया है और सजग लोग सोशल मीडिया पर अफवाहों का खंडन भी कर रहे हैं. लेकिन, चिंता की बात यह भी है कि सोशल मीडिया पर की गयीं छोटी-छोटी महत्वहीन टिप्पणियों के लिए केस दर्ज कर लोगों को गिरफ्तार करनेवाली सरकारों और पुलिस ने शरारती तत्वों की पहचान के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. भारतीय दंड संहिता में धारा 505 की व्यवस्थाओं के अंतर्गत ऐसी हरकतों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है.
भूकंप की भविष्यवाणी की कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है. इसलिए यह सरकार की जिम्मेवारी है कि ऐसी अफवाहों से निपटने के लिए तंत्र की तैयारी समुचित हो. संकट की घड़ी में अराजक तत्वों से निपटने का सर्वसम्मत रास्ता तलाशा जाना चाहिए. ऐसे मौकों पर सरकार और मीडिया को भूकंप या अन्य आपदा से जुड़ी पुख्ता जानकारियां लोगों तक पहुंचाना चाहिए, ताकि वे सही-गलत सूचना के बीच अंतर कर सकें.
लोगों को जागरूक रह कर सरकारी हिदायतों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि नुकसान कम-से-कम हो.समाज, खासकर इंटरनेट व सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों को भी अफवाहों को रोकने तथा इसे फैलानेवालों को सामने लाने की कोशिश करनी चाहिए. त्रसदी की स्थिति में सभी को पीड़ितों के साथ खड़ा होना चाहिए और शरारती तत्वों का सच उजागर करना चाहिए.

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