किसानों के पास नहीं है कोई अन्य चारा
पिछले दिनों दिल्ली में गजेंद्र नामक किसान ने आत्महत्या कर ली. तब से राजनीति गरमा गयी है. सभी पार्टी के नेता अपने-अपने हिसाब से खेद व्यक्त कर रहे हैं. यह पहला मामला नहीं है, जब किसी किसान ने आत्महत्या की है. बीते कई सालों में हजारों किसानो ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली […]
पिछले दिनों दिल्ली में गजेंद्र नामक किसान ने आत्महत्या कर ली. तब से राजनीति गरमा गयी है. सभी पार्टी के नेता अपने-अपने हिसाब से खेद व्यक्त कर रहे हैं. यह पहला मामला नहीं है, जब किसी किसान ने आत्महत्या की है.
बीते कई सालों में हजारों किसानो ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली है. किसान करें भी तो क्या? उन्हें खेती करने के लिए बीज की सुविधा नहीं है और न ही उपजायी गयी फसल का उचित दाम ही मिलता है. किसानों के लिए जो भी सरकारी योजनाएं हैं, उनमें भी व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उन्हें लाभ नहीं मिल पाता.
जब चुनाव आता है, तो सभी पार्टियां अपने आप को किसान हितैषी बताने लगती हैं जबकि वास्तविकता कुछ और है. आजादी के इतने सालों बाद भी किसानों के पक्ष में ठोस नीति नहीं बनी है. यहां तक कि सरकारी तंत्र में उनके मुआवजे को गटक लिया जाता है.
प्रताप तिवारी, सारठ, देवघर