क्रूर कौन प्रकृति, प्रभु या फिर आदमी?

नेपाल मंदिर और आस्थाओं का देश है. फिर भी ईश्वर क्रूर क्यों है? सवाल उठता है कि जिस देश में बाबा पशुपतिनाथ रहते हैं, उस देश की चूलें कैसे हिल सकती हैं? वहां तबाही कैसे मच सकती है? नेपाल में हजारों लोगों की मौत कैसे हो सकती है. यहां त्रसदी आयी नहीं है, बल्कि बुलायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2015 5:19 AM
नेपाल मंदिर और आस्थाओं का देश है. फिर भी ईश्वर क्रूर क्यों है? सवाल उठता है कि जिस देश में बाबा पशुपतिनाथ रहते हैं, उस देश की चूलें कैसे हिल सकती हैं? वहां तबाही कैसे मच सकती है?
नेपाल में हजारों लोगों की मौत कैसे हो सकती है. यहां त्रसदी आयी नहीं है, बल्कि बुलायी गयी है. ईश्वर ने इतनी खूबसूरत प्रकृति की रचना करके हम जीवों को जीवन का उपहार दिया है. स्वच्छ हवा, पानी, भूमि और जीवन के अनुकूल वातावरण दिया है.
फिर भी हम अपनी गलतियों की अनदेखी करके ईश्वर, खुदा और प्रभु को कोस रहे हैं. यह हमारी मानवीय सभ्यता की भूल है. ईश्वर ने जो हमें उपहार स्वरूप भेंट किया है, हम उसे सहेजने के बजाय उसका दोहन कर रहे हैं. अपने निजी स्वार्थो के लिए प्राकृतिक वस्तुओं को नष्ट कर रहे हैं, तो भला प्रकृति क्रूर कैसे हो सकती है. क्रूर तो हम ही हुए?
चंद्रशेखर कुमार, खेलारी, रांची

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