प्राकृतिक आपदा पर भी राजनीति?
भूकंप प्रकृति द्वारा लोगों को दी गयी चेतावनी है कि अब भी वक्त है. खुद को रोक लो, वरना जो है वह भी नहीं रहेगा. यूं कही जाये, तो यह एक उदारहण मात्र है. प्रकृति इससे भी भयावह स्थिति ला सकती है. दर्द से कराहते नेपाल-बिहार पर जहां आज पूरे विश्व की नजरें जमी हुई […]
भूकंप प्रकृति द्वारा लोगों को दी गयी चेतावनी है कि अब भी वक्त है. खुद को रोक लो, वरना जो है वह भी नहीं रहेगा. यूं कही जाये, तो यह एक उदारहण मात्र है. प्रकृति इससे भी भयावह स्थिति ला सकती है.
दर्द से कराहते नेपाल-बिहार पर जहां आज पूरे विश्व की नजरें जमी हुई हैं. नेपाल में चार हजार से अधिक लोगों के मरने की खबर आ रही है और 10 हजार की आशंका व्यक्त की जा रही है. कुछ राजनीतिक पार्टियां अपना वोट बैंक किसी तरह बढ़ाने में अभी से ही लग गयी हैं. तरह-तरह की बातें की जा रही हैं. कोई सराहना कर रहा है, तो कोई गलतियां निकालने में मगन है.
आपदा के पूर्व तक किसी को इसकी जरा भी चिंता नहीं थी. अब मदद करने के बजाय विभिन्न प्रकार की मांग की जा रही है. राजनीति करनेवालों की नजर वर्तमान पर नहीं है. पहले पीड़ितों की मदद में हाथ तो बढ़ाओ भाइयों.
हरिश्चंद्र महतो, बेलपोस, प सिंहभूम