आखिर ये नदियां कब साफ होंगी?
नदियां हमारी जीवन रेखा हैं. इन्हीं पर देश-दुनिया की संस्कृति और समाज का विकास टिका हुआ है. बेहद दु:ख की बात यह है कि इतना बड़ा देश होते हुए भी हमारी नदियों की हालत दयनीय है. नदी और गाय का सम्मान शुरू से ही होता रहा है, क्योंकि वे सही अर्थों में देवियां हैं, मगर […]
नदियां हमारी जीवन रेखा हैं. इन्हीं पर देश-दुनिया की संस्कृति और समाज का विकास टिका हुआ है. बेहद दु:ख की बात यह है कि इतना बड़ा देश होते हुए भी हमारी नदियों की हालत दयनीय है.
नदी और गाय का सम्मान शुरू से ही होता रहा है, क्योंकि वे सही अर्थों में देवियां हैं, मगर आज इनकी जो हालत है, वह किसी से छिपी नहीं है. कृषि और पशुपालन गाड़ी के पहिए हैं, जिन पर देश की देश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से आधारित है.
जब नदियां ही सही नहीं, तो कृषि, पशुपालन और देश भी कैसे ठीक हो सकता है? इनकी सफाई और खुदाई न होने से ही तो देश प्राय: बाढ़ की चपेट में आ जाता है. आज इस बड़े पुनीत और जरूरी कार्य के लिए देश में जनशक्ति और अत्याधुनिक तकनीकी साधनों की भी कही कोई कमी नहीं है, लेकिन इनकी सफाई नहीं हो पा रही है. आखिर कब होगी?
वेद, मामूरपुर, नरेला