नेपाल की त्रसदी से सबक लें लोग
नेपाल में आया भूकंप हिमालय क्षेत्र की विनाश पूर्व एक चेतावनी है. समूचे हिमालय क्षेत्र पर संकट मंडरा रहा है. नेपाल की आपदा बड़े खतरे का संकेत दे रही है. यह चेतावनी पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ विभिन्न जन संगठनों की भी है. हिमालय को एशिया का वाटर टावर कहा जाता है, जो कई देशों के […]
नेपाल में आया भूकंप हिमालय क्षेत्र की विनाश पूर्व एक चेतावनी है. समूचे हिमालय क्षेत्र पर संकट मंडरा रहा है. नेपाल की आपदा बड़े खतरे का संकेत दे रही है. यह चेतावनी पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ विभिन्न जन संगठनों की भी है. हिमालय को एशिया का वाटर टावर कहा जाता है, जो कई देशों के मीठे पानी का बड़ा स्नेत है. वह संकट से गुजर रहा है.
यह संकट कश्मीर-किन्नौर से लेकर सिक्किम तक भारत में है, तो दूसरी तरफ नेपाल भूटान से लेकर चीन तक फैला हुआ है. नेपाल के बड़े इलाके से लेकर चीन सीमा तक पहाड़ कई वजहों से कमजोर हो गये हैं, जो बारिश में बहुत खतरनाक हो जाते है.
इसकी एक वजह सड़कों के लिए पहाड़ पर अनियंत्रित ढंग निर्माण किया जाना है, तो जंगलों को बुरी तरह काटा जाना दूसरी प्रमुख वजह है. इसके अलावा बड़े बांध और बेतरतीब ढंग से ऊंची इमारतों का निर्माण भी है. आनेवाले समय में श्रीनगर से लेकर शिमला, नैनीताल, दार्जिलिंग और सिक्किम जैसे खूबसूरत सैरगाह भी इसी तरह की प्राकृतिक आपदा का शिकार बन सकते हैं.
हिमालय जो विश्व का एक शिशु पर्वत है. उसकी रचना अभी बहुत संवेदनशील है. ऐसी स्थिति में इस पर्वत श्रृंखला के साथ छेड़छाड़ बहुत ही खतरनाक है. यह पर्वत कई देशों मसलन अफगानिस्तान से लेकर वर्मा तक की जलवायु का निर्माण करता है और इन देशों में मीठे पानी का चालीस फीसदी स्नेत अकेले हिमालय है.
यदि समय रहते इन बातों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हम सब को इसी तरह प्रकृति के विनाशलीला को देखते रहने मजबूर होना होगा. देश ही नहीं, दुनिया भर के लोगों को हिमालयी क्षेत्र में भू-गर्भीय हलचल के इन नतीजों से समय से पूर्व सीख लेने की जरूरत है, तभी बचाव संभव है.
मनोरथ सेन, ई-मेल से