सपा की रैली के निहितार्थ

उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रांची आये. अपनी पार्टी की रैली की. ऐसा नहीं है कि वे यूं ही झारखंड दौरे पर आ गये. उनके दौरे का अर्थ है. पहला है, झारखंड में समाजवादी पार्टी को मजबूत करना. यहां उनकी पार्टी का बड़ा आधार नहीं रहा है. हालांकि इस राज्य में समाजवादी विचारधारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2013 3:22 AM

उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रांची आये. अपनी पार्टी की रैली की. ऐसा नहीं है कि वे यूं ही झारखंड दौरे पर आ गये. उनके दौरे का अर्थ है. पहला है, झारखंड में समाजवादी पार्टी को मजबूत करना. यहां उनकी पार्टी का बड़ा आधार नहीं रहा है. हालांकि इस राज्य में समाजवादी विचारधारा के लोगों की कमी नहीं है. उन्हें भरोसा है कि झारखंड में उनकी पार्टी मजबूत होगी. इसके पीछे आधार है. झारखंड में मुसलिम और कुछ क्षेत्रों में यादव आबादी अच्छी संख्या में है. समाजवादी पार्टी की इन दोनों समुदायों पर पकड़ है.

इसलिए उसे लगता है कि उसके पास झारखंड में संगठन मजबूत करने के लिए एक आधार तो है ही. अभी तक अखिलेश की पार्टी का एक भी विधायक नहीं है, पर उनकी पार्टी से कभी बन्ना गुप्ता जुड़े हुए थे जो जमशेदपुर पश्चिम से अभी कांग्रेस के विधायक हैं. इसलिए सपा को झारखंड में अपना भविष्य दिखता है. अखिलेश यादव का यह दौरा सिर्फ संगठन मजबूत करने तक ही सीमित नहीं है. उनके पिता और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री पद के सशक्त दावेदार हैं. हाल में जो भी सर्वेक्षण हुए हैं, उनमें भाजपा या कांग्रेस किसी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. तीसरा मोरचा (जिसका पूरे तौर पर अस्तित्व में आना बाकी है) मजबूत लग रहा है. इसके लिए गैर भाजपा-गैर कांग्रेसी दलों को साथ लाने की जरूरत है.

अखिलेश का यह दौरा क्षेत्रीय दलों को समझने में, उनका समर्थन हासिल करने में सहायक साबित हो सकता है. यह दौरा इसी अभियान की एक कड़ी हो सकता है. झारखंड के कई जिलों (धनबाद, रांची और पूर्वी सिंहभूम) में यूपी के लोगों की अच्छी आबादी है. अगर समाजवादी पार्टी मजबूत होती है, तो झारखंड में रहनेवाले यूपी के लोग उसे एक विकल्प के रूप में देख सकते हैं. रांची में समाजवादी पार्टी की रैली ने संदेश दे दिया है कि मुलायम-अखिलेश की पार्टी झारखंड में रुचि रखती है. समाजवादी पार्टी सिर्फ झारखंड में ही नहीं, अन्य राज्यों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहेगी और क्षेत्रीय पार्टी की अपनी छवि को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में बदलने का प्रयास करेगी. ऐसा तभी होगा, जब उसे यूपी के बाहर अन्य राज्यों में चुनाव में सफलता मिले या फिर अच्छी खासी संख्या में मत मिले.

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