गुम फाइलों का सच सामने लायें

घोटालों के विभिन्न आरोपों से ‘गंठबंधन की मजबूरियों’ के नाम पर बचने की नाकाम कोशिश करती रही मनमोहन सरकार बहुचर्चित कोयला घोटाले की महत्वपूर्ण फाइलें गुम होने के बाद निरुत्तर दिख रही है. संसद में विपक्ष के हंगामे के बाद दिया गया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह बयान शायद ही किसी को संतुष्ट कर पायेगा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2013 3:23 AM

घोटालों के विभिन्न आरोपों से ‘गंठबंधन की मजबूरियों’ के नाम पर बचने की नाकाम कोशिश करती रही मनमोहन सरकार बहुचर्चित कोयला घोटाले की महत्वपूर्ण फाइलें गुम होने के बाद निरुत्तर दिख रही है. संसद में विपक्ष के हंगामे के बाद दिया गया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह बयान शायद ही किसी को संतुष्ट कर पायेगा कि ‘मैं कोयलामंत्रालयकी फाइलों का रखवाला नहीं हूं और सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है.’

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज अब पूछ रही हैं कि फाइलों के गुम होने की एफआइआर क्यों नहीं दर्ज करायी गयी है, जबकि मामले की निगरानी कर रहा सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए यह सवाल एक सप्ताह पहले ही पूछ चुका है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ साफ कह चुकी है कि ‘सिर्फ यह स्पष्टीकरण तर्कसंगत नहीं है कि गुम फाइलें खोजी जा रही हैं. रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद ही पता लगाया जा सकेगा कि इन फाइलों की चोरी हुई है या साजिश के तहत इन्हें नष्ट किया गया है.’ नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भ्रष्टाचार के जितने भी बड़े मामले उजागर किये हैं, उनमें कोयला खदानों के आवंटन में घोटाला ऐसा मामला है, जिसकी आंच सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंची है.

यह आवंटन जिस वक्त हुआ था, कोयला मंत्रलय उन्हीं के जिम्मे था. और फिर यह पहली बार नहीं है, जब इस घोटाले को लेकर सरकारी रवैये पर उंगली उठी है. कैग की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय मंत्रियों ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. हंगामा मचने और सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद मामला दर्ज हुआ और सीबीआइ की जांच आगे बढ़ी. फिर कुछ मंत्रियों ने सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट में भी फेरबदल करा दिया.

इस खुलासे पर सरकार को फजीहत ङोलनी पड़ी. अब सीबीआइ की ओर से मांगे जा रहे करीब दो सौ दस्तावेज उसे यह कहते हुए नहीं सौंपे जा रहे हैं कि इसकी फाइलें नहीं मिल रही हैं. इन घटनाक्रमों को एक कड़ी के रूप में देखने पर यह संदेह गहरा हो जाता है कि कुछ गड़बड़ है और सरकार सच का सामना करने से डर रही है. जाहिर है, यदि सरकार के पास सचमुच छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो उसे गुम फाइलों की रिपोर्ट दर्ज करा कर सीबीआइ जांच के जरिये सच को जनता के सामने आने देना चाहिए.

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