इस सहज रिश्ते को जटिल न बनाएं

विदेश मंत्रालय ने लगातार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेपाल के जनकपुर जाने की इजाजत नहीं दी. मंत्री के स्तर पर पहले इसकी अनुमति मिल गयी थी लेकिन बाद में विदेश सचिव के स्तर पर इसे यह कहते हुए वापस ले लिया गया कि नेपाल के हालात अभी सामान्य नहीं हैं. इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2015 6:06 AM

विदेश मंत्रालय ने लगातार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेपाल के जनकपुर जाने की इजाजत नहीं दी. मंत्री के स्तर पर पहले इसकी अनुमति मिल गयी थी लेकिन बाद में विदेश सचिव के स्तर पर इसे यह कहते हुए वापस ले लिया गया कि नेपाल के हालात अभी सामान्य नहीं हैं.

इसके पीछे विदेशमंत्रालयकी अपनी समझ हो सकती है. पर सवाल बिहार और नेपाल के रिश्तों का है. राष्ट्र के तौर पर भारत-नेपाल संबंध को लगातार मजबूत करने की जरूरत से भला कौन इनकार कर सकता है. लेकिन जब तक बिहार और नेपाल के बीच के खास रिश्ते को नहीं समझा जायेगा, तब तक शायद दो मुल्कों के रिश्तों की गहराई तक हम नहीं पहुंच पायेंगे. बिहार और नेपाल के बीच नैसर्गिक सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध रहा है. दोनों ओर रोटी-बेटी का संबंध है. खेती-किसानी है. खुली सीमा पर बेरोक-टोक आवाजाही है. यह अनायास नहीं है कि आजादी की लड़ाई का दौर रहा हो या लोकतांत्रिक-समाजवादी आंदोलनों की धमक, सब दौर में नेपाल की मुख्यधारा के राजनीतिज्ञों और बिहार के बीच एक समझादारी रही. वीपी कोइराला लंबे समय तक पटना में रहे. वह दौर नेपाल में लोकतांत्रिक आंदोलनों का था. उसका संचालन यहां रह कर किया करते थे. बाद में वह नेपाल के प्रधानमंत्री बने.

यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि उसी कोइराला की प्रतिमा पटना के गोलघर के पास स्थापित की गयी. आजादी के दौरान जब हजारीबाग जेल से जयप्रकाश नारायण भागे, तो भाग कर कहां गये थे? वह नेपाल ही तो था. आपातकाल के दौरान जब हुकूमत कपरूरी ठाकुर को गिरफ्तार करना चाहती थी तो कहा जाता है कि वह नेपाल चले गये थे. प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे डॉ राजाराम प्रसाद सिंह और उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव के लिए पटना-बनारस स्वाभाविक घर की तरह रहे. इस पृष्ठभूमि में नीतीश कुमार के जनकपुर जाने की इच्छा को समझने की जरूरत है. कई ऐसे लोग है जो स्वाभाविक रूप से नेपाल जाना

चाहते हैं. रिश्तों की इस गरमी को नहीं समङोंगे तो उस तरफ के लोगों की यह शिकायत कौन सुनेगा कि दुख में आप कहां थे? हमारे पास उन्हें बताने को क्या होगा?

Next Article

Exit mobile version