सालों बाद हुई सजा से आगे के सवाल
आखिरकार मुंबई के सत्र न्यायालय में पेश साक्ष्यों से साबित हुआ कि सिने परदे के सबसे महंगे एवं सफल सितारों में एक सलमान खान ‘हिट एंड रन’ मामले में गैर इरादतन हत्या के दोषी हैं. अदालत ने उन्हें जुर्माने के साथ पांच साल कैद की सजा सुनायी है. हमारे देश में कोई व्यक्ति पद-प्रतिष्ठा की […]
ऐसे में इस फैसले से लग सकता है कि आखिरकार इंसाफ की जीत हुई, शोहरत और दौलत की दुनिया अदालत के इंसाफ को डिगा न सकी. हालांकि सलमान खान के लिए अभी ऊपरी अदालत के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं. हो सकता है कि उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिल जाये, सजा कम हो जाये या फिर यह भी हो सकता है कि कुछ साक्ष्यों के आलोक में वे बरी हो जायें.
सत्र न्यायालय में सलमान खान की तरफ से यह साबित करने की भरपूर कोशिश की गयी कि दुर्घटना के समय गाड़ी कोई और ही चला रहा था. ऐसे में सलमान अब भी उम्मीद कर सकते हैं कि नामी-गिरामी वकीलों की फौज ऊपरी अदालतों से उनकी रिहाई के लिए कानून के भीतर से कोई नुस्खा निकाल लेगी. अब इस मामले को किसी एक सेलेब्रिटी पर लगे आरोप या रोडरेज की किसी एक घटना के रूप में देखना काफी नहीं होगा. भारत में औसतन हर चार मिनट में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो रही है और सड़क दुर्घटना से होनेवाली मौतों की आंकड़ा सबसे ज्यादा है.
सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश को जीडीपी के करीब तीन प्रतिशत का नुकसान हो रहा है. सरकारी आंकड़े कहते हैं कि सड़क दुर्घटनाएं साल 2030 तक मौत की पांचवीं सबसे बड़ी वजह बन कर उभरेंगी. लेकिन, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को आपातकालीन चिकित्सा मुहैया कराने से लेकर सड़क सुरक्षा के मानकों के पालन और दोषी को सजा दिलाने तक के मामले में भारत विकसित मुल्कों की तुलना में बहुत पीछे है. यहां तक कि सलमान खान वाले मामले में भी फैसला करीब 12 साल बाद आया है. इसलिए जरूरत बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कारगर कोशिश करने की है. जब तक ऐसा नहीं होता, भारत के बारे में यही माना जायेगा कि इस देश को यातायात के मामले में कायदे से आधुनिकता के मूल्यों के अनुकूल आचरण करना नहीं आया है.