हुंह! यह भी कोई सजा है क्या?

मशहूर फिल्म अभिनेता सलमान खान को बारह साल पुराने ‘हिट एंड रन’ मामले में मुंबई की एक अदालत ने पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी है. आरोप साबित हो गया कि सलमान खान नशे में थे और वह खुद गाड़ी चला रहे थे. हालांकि, सलमान जेल न जायें, इसके लिए करोड़ों दुआएं मांगी गयीं. फेसबुक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2015 6:07 AM

मशहूर फिल्म अभिनेता सलमान खान को बारह साल पुराने ‘हिट एंड रन’ मामले में मुंबई की एक अदालत ने पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी है. आरोप साबित हो गया कि सलमान खान नशे में थे और वह खुद गाड़ी चला रहे थे. हालांकि, सलमान जेल न जायें, इसके लिए करोड़ों दुआएं मांगी गयीं. फेसबुक से लेकर ट्वीटर तक सलमान-सलमान हुआ. कुछ लोगों ने यह लिख कर बचाव किया कि ‘सलमान से बड़ी गुनहगार सरकार है, जिसकी वजह से आजादी के इतने वर्षो बाद भी लोग फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं, इसलिए पहले सरकार को सजा मिलनी चाहिए’. लेकिन, अंतत: अदालत ने सलमान को पांच साल कैद की सजा दे दी. हालांकि इसमें भी पांच साल की रियायत मिली दिखती है, नहीं तो दस साल की भी सजा हो सकती थी.

अब सलमान जेल में कितने दिन काटेंगे, इसकी झलक फैसले के चंद घंटों बाद ही दिख गयी. जिस दिन सजा, उसी दिन जमानत, वाह! हमलोगों को पूरा यकीन है कि सलमान खान जल्द ही खुली हवा में सांस लेते और प्रशंसकों को ‘ऑटोग्राफ’ देते दिखेंगे. ‘बीइंग ह्यूमन’ की टीशर्ट पहन कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी पूरी करते दिखेंगे. दरअसल, जेल सिर्फ मामूली अपराधियों के लिए ही ‘कैदखाना’ है.

सलमान या संजय दत्त जैसे बिगड़े रईसों के लिए तो जेल, सिर्फ एक खेल का मैदान (गालिब के शब्दों में ‘बाजीचा-ए-अत्फाल) है. आप सोचिए कि जो गुनाह सलमान खान ने महज बारह मिनटों में किया होगा, जिसमें एक बेगुनाह की जान चली गयी, उस गुनाह की सजा उन्हें बारह साल बाद मिली. फिर कानूनी दावं-पेच में माहिर वकीलों ने 12 घंटे भी नहीं बीतने दिये और उन्हें जमानत दिला दी. ऐसी व्यवस्था जिस देश में है, उसे हम कैसे अपराधमुक्त देश बना सकते हैं? मतलब अपराध आज कीजिए, सजा दस साल बाद मिलेगी, वह भी सिर्फ पांच साल की. ऐसे में अपराध और अपराधी बढ़ेंगे कि घटेंगे. ऐसे ही एक जुर्म की सजा काट रहे हैं, अभिनेता संजय दत्त. अजी सजा क्या! कहिए तो मजा काट रहे हैं, यरवदा जेल में. जब जी चाहा, पैरोल पर बाहर आ गया. घूमे-फिर, परिवार के साथ त्योहार मनाया और फिर ठाठ से जेल में रहने चले गये. हमलोग खबरों में अक्सर पढ़ते ही हैं कि जेल में सजा काट रहे अपराधी आरामदेहबेड से लेकर आइ-पैड तक सब चीज का उपयोग करते हैं. पैसेवाले लोग या सेलिब्रिटी लोग सिर्फ आराम करने जेल जाते हैं. ऐसे अपराधियों को कठोर सजा देने के बदले जब ‘मजा’ करने की सजा मिलती है, तो जाने-माने शायर राहत इंदौरी साहब का एक शे’र याद आता है – नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है.. कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है.. जो जुर्म करते हैं, वो इतने बुरे भी नहीं होते.. सजा न दे कर, अदालत बिगाड़ देती है.

पंकज कुमार पाठक

प्रभात खबर, रांची

pankaj.pathak@prabhatkhabar.in

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