हौसलों से भरी जाती हैं नभ में उड़ान

इस बार 10वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम काफी बुरा रहा है. इसमें कई परीक्षार्थियों का परिणाम बहुत अच्छा रहा, तो अधिकतर परीक्षार्थियों का परिणाम बुरा रहा. मैंने भी इस बार मैट्रिक की परीक्षा दी थी.मैं इस अखबार के माध्यम से बाकी के विद्यार्थियों से कहना चाहता हूं कि कभी हिम्मत न हारें. कभी भी पंखों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2015 6:04 AM
इस बार 10वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम काफी बुरा रहा है. इसमें कई परीक्षार्थियों का परिणाम बहुत अच्छा रहा, तो अधिकतर परीक्षार्थियों का परिणाम बुरा रहा. मैंने भी इस बार मैट्रिक की परीक्षा दी थी.मैं इस अखबार के माध्यम से बाकी के विद्यार्थियों से कहना चाहता हूं कि कभी हिम्मत न हारें. कभी भी पंखों के सहारे उड़ान नहीं भरी जाती, बल्कि उड़ान तो हौसलों से भरी जाती है.
मैं अन्य छात्रों को यह बताना चाहता हूं कि मैंने जितने अंक हासिल करने की उम्मीद की थी, उतने अंक नहीं मिल पाये. आप तो जानते हैं कि आज के दौर में जहां बुद्धिमत्ता महत्वपूर्ण है, वहीं अंकों की प्रतिशतता की मांग भी उतनी ही है.
मेरे कम अंक लाने पर घरवाले और मैं खुश नहीं हूं. आज मुङो हर कहावत झूठी नजर आ रही है. ‘जैसा बोओगे, वैसा पाओगे’ की कहावत भी झूठी लग रही है. इस कारण सभी यह सोचते हैं कि मैंने ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं की है.
मैं अपने नंबर बढ़वाना नहीं चाहता. मैं तो बस इतना चाहता हं कि आप मुङो सहायता प्रदान करें, ताकि हम अपने परिजनों और स्कूल के शिक्षकों की बातों के घेरे से बाहर निकल सकें. परीक्षा में कम अंक आने के बाद उन्हें बच्चों को भविष्य में बेहतर अंक लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन वे तीखे शब्दबाणों से हतोत्साहित करने में लगे हैं. स्कूल प्रबंधन को भय है कि छात्रों के कम अंक आने पर उनकी प्रतिष्ठा व व्यापार में कमी आयेगी.
इसलिए वे अपनी कमी बच्चों की मेहनत पर थोप कर अपना पिंड छुड़ाने के लिए अभिभावकों को बहका रहे हैं. उनके बहकावे में अभिभावक बच्चों को प्रताड़ित कर रहे हैं. ध्यान रहे, बच्चे अब जागरूक हो गये हैं. वे गुस्से में कोई भी गलत कदम नहीं उठायेंगे. अभिभावक और स्कूल प्रबंधन सावधान हो जायें.
दीपक कुमार साव, टाटीसिल्वे

Next Article

Exit mobile version