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स्थानीयता नीति से पूर्व नियुक्तियां न हों
झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद से लेकर आज तक स्थानीयता की नीति न तो तय हुई है और न ही नियोजन की नीति तैयार की गयी है. इस कारण मूलवासियों एवं आदिवासियों को पलायन व बेरोजगारी का दंश ङोलना पड़ रहा है. भारत के सभी राज्यों का अपनी स्थानीयता की नीति परिभाषित […]
झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद से लेकर आज तक स्थानीयता की नीति न तो तय हुई है और न ही नियोजन की नीति तैयार की गयी है. इस कारण मूलवासियों एवं आदिवासियों को पलायन व बेरोजगारी का दंश ङोलना पड़ रहा है.
भारत के सभी राज्यों का अपनी स्थानीयता की नीति परिभाषित है, लेकिन झारखंड में बीते डेढ़ दशक के बाद भी यह संभव नहीं हो सका है.
यहां जितनी भी नियुक्तियां हो रही हैं, उसमें 80 फीसदी से अधिक अभ्यर्थी राज्य के बाहर के हैं. जब तक स्थानीयता एवं नियोजन नीति पूरी तरह से तैयार नहीं कर ली जाती, तब तक राज्य में सरकारी स्तर पर कोई नयी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए. स्थानीयता और नियोजन नीति के तैयार होने या फिर घोषित होने तक सरकार को इस पर रोक लगा देनी चाहिए. तिकड़मियों की वजह से लगातार नियुक्तियां हो रही हैं.
कलीमुद्दीन, रांची
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