बिजली संकट पर सिर्फ वादे और दावे

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड (जेएसइबी) को बांट कर चार अलग-अलग कंपनियां बना देने और उनका जिम्मा आइएएस अधिकारियों के हवाले कर देने के काफी दिनों बाद भी राज्य में बिजली का दशा काफी निराशाजनक है. आये दिन सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर दावा किया जाता है कि राज्य में बहुत जल्द बिजली की स्थिति बेहतर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2015 5:22 AM
झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड (जेएसइबी) को बांट कर चार अलग-अलग कंपनियां बना देने और उनका जिम्मा आइएएस अधिकारियों के हवाले कर देने के काफी दिनों बाद भी राज्य में बिजली का दशा काफी निराशाजनक है. आये दिन सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर दावा किया जाता है कि राज्य में बहुत जल्द बिजली की स्थिति बेहतर कर दी जायेगी, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला ही है.
अब सवाल है कि कहां गड़बड़ है? व्यवस्था चाहे तकनीकी लोगों के हाथ में हो, चाहे आइएएस अधिकारियों के, गरमी आते ही बिजली संकट का रोना साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है. विद्युत बोर्ड का विखंडन बेहतरी के लिए किया गया था, लेकिन इससे भी निराशा ही हाथ लगी है. बड़ी बात यह कि पूरे राज्य की बिजली व्यवस्था नये हाथों में है, जिससे आम लोग कुछ ज्यादा ही उम्मीद पाले बैठे थे. देखा जाये तो आधारभूत संरचनाओं की बदतरी एवं कमी, और बिजली का कम उत्पादन ही इस दुर्दशा के मुख्य कारण हैं.
बिजली के खंभे और तार इतने जजर्र हैं कि हवा के हल्के झोंके को भी बरदाश्त नहीं कर पाते. यह अलग बात है कि हर बार नयी सरकार आने पर राज्य में जीरो बिजली कट के दावे किये जाते रहे हैं. पूर्व के वर्षो में राज्य के अन्य इलाकों की बनिस्बत राजधानी रांची में बिजली की आपूर्ति बेहतर रहती थी, लेकिन इस बार तो राजधानी भी त्रहि-त्रहि कर रही है. हाल इतना खराब है कि परेशानहाल लोग जगह-जगह हंगामे पर उतर जा रहे हैं. बिजली के कारण पेयजलापूर्ति का प्रभावित होना भी आम बात है. लोग रतजगा करके पीने का पानी जुगाड़ते राजधानी रांची में देखे जा सकते हैं.
सरकार में बैठे शीर्ष अधिकारी शायद ही आम आदमी की यह परेशानी समझ सकें, क्योंकि उनके यहां तो बड़े-बड़े जेनरेटर लगे हैं, इनवर्टर की सुविधा दी गयी है. बिजली संकट के साथ पानी की किल्लत की चर्चा तो होती है, लेकिन झारखंड में मच्छरों का प्रकोप भी बिजली के साथ जुड़ा है. गरमी में मच्छरों का प्रकोप आम आदमी का जीना हराम कर देता है.
उपभोक्ता जब बिजली का बिल चुकाता है, तो उसको हर हाल में बिजली चाहिए. यह कह कर निकल जाने की प्रवृत्ति त्यागनी होगी कि जल्दी ही बिजली आपूर्ति बहाल कर दी जायेगी.

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