17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जनता से जुड़ाव न होने का सबूत

16वीं लोकसभा के गठन को एक साल हो गये, लेकिन राज्य के 40 लोकसभा सदस्यों में से 25 यानी आधे से ज्यादा ने एक साल में अपनी विकास निधि का एक पैसा भी खर्च नहीं किया है. इसमें सभी दलों के सांसद शामिल हैं. ऐसे समय में जब बिहार अनेक समस्याओं से जूझ रहा है, […]

16वीं लोकसभा के गठन को एक साल हो गये, लेकिन राज्य के 40 लोकसभा सदस्यों में से 25 यानी आधे से ज्यादा ने एक साल में अपनी विकास निधि का एक पैसा भी खर्च नहीं किया है. इसमें सभी दलों के सांसद शामिल हैं. ऐसे समय में जब बिहार अनेक समस्याओं से जूझ रहा है, राज्य के निर्वाचित लोकसभा सांसदों की विकास निधि खर्च करने के प्रति उदासीनता चिंता की बात है.

15वीं लोकसभा के भी अधिकतर सांसद अपनी-अपनी सांसद निधि की पूरी राशि खर्च नहीं कर पाये थे. करीब 32 फीसदी राशि बची रह गयी थी. 1993 में तत्कालीन नरसिंह राव की सरकार ने सांसद निधि कोष (मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड) की शुरुआत की थी.

उद्देश्य था, संसदीय क्षेत्रों में टिकाऊ सामुदायिक संपदा का निर्माण और बुनियादी ढांचा तैयार करना. तब सांसदों की सिफारिश पर प्रतिवर्ष 50-50 लाख रुपये उनके संसदीय क्षेत्रों में विकास कार्यो पर खर्च करने का प्रावधान किया गया था. बाद में यह राशि बढ़ कर एक करोड़, फिर दो करोड़ और अब पांच करोड़ रुपये वार्षिक हो गयी है. यानी एक सांसद यदि पांच साल का कार्यकाल पूरा करते हैं, तो वह क्षेत्र के विकास कार्यो पर 25 करोड़ रुपये खर्च करने की सिफारिश कर सकते हैं. पिछले 22 वर्षो में सांसद निधि जितनी लोकप्रिय नहीं हुई, उससे कहीं अधिक यह विवादों में घिरी रही है. न केवल सांसदों की उदासीनता पर, बल्कि इसके दुरुपयोग को लेकर भी इस योजना पर सवाल उठते रहे हैं. वीरपप्पा मोइली की अध्यक्षतावाली द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने तो इसे समाप्त करने की सिफारिश तक की थी.

सांसदों को यह समझना होगा कि उनके साथ उनके क्षेत्र की जनता की आंकाक्षाएं और अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं. एक संसदीय क्षेत्र के लिए पांच वर्षो में 25 करोड़ रुपये की राशि कम नहीं है. बिहार के 77} घरों में शौचालय नहीं हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. सिंचाई, सड़क और पेयजल की समस्याएं सभी संसदीय क्षेत्रों में हैं. करीब 33 हजार स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय निर्माण की चुनौती है. प्राकृतिक आपदा से किसान तबाह हैं. बिहार की इन विशिष्ट समस्याओं को कार्यभार मान कर सांसद पहल करें, तो जनता का भला होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें