जीवनरेखा पर जनमत संग्रह की जरूरत
आज की तारीख में देश की राजधानी दिल्ली में डीटीसी की बसें और मेट्रो सेवा यहां की जीवनरेखाएं बन गयी हैं. इनके आगमन पर लोगों के मन में खुशी होती है कि अब उनका सफर आसान हो जायेगा. लेकिन अब जनता की उम्मीदों पर पानी फेरने के की तैयारी की जा रही है. हालात दिन-प्रतिदिन […]
आज की तारीख में देश की राजधानी दिल्ली में डीटीसी की बसें और मेट्रो सेवा यहां की जीवनरेखाएं बन गयी हैं. इनके आगमन पर लोगों के मन में खुशी होती है कि अब उनका सफर आसान हो जायेगा.
लेकिन अब जनता की उम्मीदों पर पानी फेरने के की तैयारी की जा रही है. हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं. सरकारी बसों में दुर्घटनाएं आम हो गयी हैं. इनमें सफर करनेवाले जान हथेली पर रख लेते हैं. आज स्थिति यह बन गयी है कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के माध्यम से लोगों को मिल रही सुविधाओं पर भी सरकार को जनमत संग्रह कराने की जरूरत है.
शीला दीक्षित की सरकार ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के नाम पर लोगों के माथे पर महंगी बसों के काफिले के थोप रखा था, क्या आज वो उपयोगी हैं? इसी तरह की अन्य समस्याएं भी हैं, जिन पर जनमत संग्रह की जरूरत है.
वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली