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एक साल में देश को मिला ही क्या?
संपादक महोदय, आपके समाचार पत्र में पिछले दिनों पुण्यप्रसून वाजपेयी साहब का आलेख पढ़ने को मिला. यह लेख मोदी सरकार के एक साल के लेखा-जोखा का सही चित्रंकन करता है. सच तो यह है कि पिछले एक साल में जनता के हाथ सिर्फ बातों का गुलदस्ता ही आया है. हां, एक बात जरूर हुई है […]
संपादक महोदय, आपके समाचार पत्र में पिछले दिनों पुण्यप्रसून वाजपेयी साहब का आलेख पढ़ने को मिला. यह लेख मोदी सरकार के एक साल के लेखा-जोखा का सही चित्रंकन करता है.
सच तो यह है कि पिछले एक साल में जनता के हाथ सिर्फ बातों का गुलदस्ता ही आया है. हां, एक बात जरूर हुई है कि मोदी ने न केवल विपक्ष को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है, बल्कि इस एक साल में मोदी जी की पार्टी भी हाशिए पर चली गयी है. पूरे देश में बस एक ही नाम लिया जा रहा है ‘मोदी’. एक साल का समय बड़ा होता है.
जितनी तेजी से मोदी जी को समर्थन मिला, उसी रफ्तार से देश में उनका विरोध होना भी शुरू हो गया है. उनके दल के लोग जुबान भले ही न खोलें, लेकिन उनकी छटपटाहट साफ दिखायी दे रही है. अब भी समय है कि मोदी जी देश के लिए कुछ कर दिखायें.
आनंद माधव, नाथ नगर, भागलपुर
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