हाइटेक शहरों के बीच पिछड़ते गांव

आज हमारा देश बदलाव एवं आइटी के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहा है. लेकिन क्या इस बदलाव की रोशनी गांव में विचर रही कुरीतियों के बादल को छांट पायेगी? हमारा देश गांवों का देश है. हमारी भारत माता का दिल गांव में ही बसता है. क्या शहरों में बदलाव होने भर से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2015 2:29 AM
आज हमारा देश बदलाव एवं आइटी के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहा है. लेकिन क्या इस बदलाव की रोशनी गांव में विचर रही कुरीतियों के बादल को छांट पायेगी? हमारा देश गांवों का देश है.
हमारी भारत माता का दिल गांव में ही बसता है. क्या शहरों में बदलाव होने भर से ही हमारे देश की संपूर्ण प्रगति हो सकेगी. आज भी गांवी की मिट्टी में कुरीतियां बरकरार हैं. आज भी गांव में बेटा न होने पर माता-पिता के नक्षत्र को ही दोषी माना जाता है.
लोग उस दंपती का चेहरा भी नहीं देखते. गांव में आज भी डायन एवं भूतों का वर्चस्व बरकरार है. किसी को सफेद दाग होने पर लोग उसके हाथ का पानी भी नहीं पीते हैं. बीमार होने पर लोग आज भी डॉक्टर से पहले ओझा के पास जाते हैं. महिलाओं का जीवन तो सिंदूर, बिंदी और चूड़ियों तक ही सिमटा है. तो क्या यही प्रगति है?
प्रतिभा तिवारी, मधुपुर

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