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उत्कृष्ट है ‘श्रेष्ठ संस्थान और समाज’

तीन मई, 2015 के प्रभात खबर में छपा हरिवंश जी का वक्तव्य ‘सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान’ पढ़ कर काफी प्रसन्नता हुई. प्रस्तुत वक्तव्य में उन्होंने जो बातें कही हैं, वही शास्वत सत्य है. समाज की सक्रियता, शिक्षा और रचनात्मक सोच निश्चित रूप से श्रेष्ठ संस्थानों को जन्म देती है. श्रेष्ठ संस्थान योग्य […]

तीन मई, 2015 के प्रभात खबर में छपा हरिवंश जी का वक्तव्य ‘सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान’ पढ़ कर काफी प्रसन्नता हुई. प्रस्तुत वक्तव्य में उन्होंने जो बातें कही हैं, वही शास्वत सत्य है.
समाज की सक्रियता, शिक्षा और रचनात्मक सोच निश्चित रूप से श्रेष्ठ संस्थानों को जन्म देती है. श्रेष्ठ संस्थान योग्य व आदर्श नागरिक पैदा करते हैं. उक्त लेख में लेखक का अध्ययन काफी गहरा है. उनका कहना ठीक है कि धन कमाना बुरा नहीं है, बुरा है उसका दुरुपयोग. सत्कार्य में लगाया गया धन निवेशक को अमरत्व देता है.
शिक्षण संस्थान व स्वास्थ्य केंद्र खोलना समाज को ऊंचा उठाना है. विश्वविद्यालय का काम डिग्री देना ही नहीं, बल्कि सुयोग्य नागरिक पैदा करना है. हार्वर्ड के जीएम हापकिंस का उदाहरण दे कर अमीरों की आंख खोलने की कोशिश नायाब है.
भगवान ठाकुर, तेनुघाट, बोकारो

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