आखिर इंसानियत ने टेक दिये घुटने

संपादक महोदय, आखिर इंसानियत ने घुटने टेक ही दिये हैं. एक ऐसा हृदयहीन घटना, जिसने मानवता को शर्मसार किया. मुंबई के अस्पताल में कार्यरत परिचारिका अरुणा का यौन शोषण हुआ और उनकी आवाज को दबाने के लिए प्रताड़ना दी गयी. सही मायने में अरुणा की मौत तो उसी दिन हो गयी थी, जिस दिन उनके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2015 5:13 AM
संपादक महोदय, आखिर इंसानियत ने घुटने टेक ही दिये हैं. एक ऐसा हृदयहीन घटना, जिसने मानवता को शर्मसार किया. मुंबई के अस्पताल में कार्यरत परिचारिका अरुणा का यौन शोषण हुआ और उनकी आवाज को दबाने के लिए प्रताड़ना दी गयी.
सही मायने में अरुणा की मौत तो उसी दिन हो गयी थी, जिस दिन उनके साथ दुष्कर्म हुआ था. कोमा में जाने के बाद वह बेचारी नाममात्र की ही जिंदा थीं. इच्छामृत्यु भी भारत में एक विवादास्पद मुद्दा है.
जिस व्यक्ति का जीवन नर्क से भी बदतर हो गयी हो, उसे मृत्यु देकर क्यों नहीं असहाय कष्ट से मुक्ति दिलाने का कानून बनाया जाता? यह घटना कानून की लचर व्यवस्था को भी दर्शाता है, क्योंकि आरोपी सोहनलाल को मात्र सात साल की ही सजा हुई थी. इस घटना ने यह साबित कर दिया कि आज हैवानों के आगे इंसानियत कमजोर है.
विजय प्रसाद, रांची

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