स्थानीय नीति का स्वरूप हो लचीला

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, विभिन्न सरकार और गैर-सरकारी संगठनों से आग्रह करना चाहता हूं कि वे स्थानीयता की नीति तय करते समय उसके लचीले स्वरूप पर भी गौर करें. महाशय, झारखंड में हजारों ऐसे लोग हैं, जिनके पास जमीन नहीं है या फिर जमीन है भी तो उनके दादे-परदादे के समय से उसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2015 5:40 AM

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, विभिन्न सरकार और गैर-सरकारी संगठनों से आग्रह करना चाहता हूं कि वे स्थानीयता की नीति तय करते समय उसके लचीले स्वरूप पर भी गौर करें.

महाशय, झारखंड में हजारों ऐसे लोग हैं, जिनके पास जमीन नहीं है या फिर जमीन है भी तो उनके दादे-परदादे के समय से उसके कागजात नहीं हैं. ऐसी स्थिति में जिन लोगों के पास खतियान नहीं है, वे खुद को स्थानीय साबित करने के लिए कौन-सा उपाय करेंगे. महोदय, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जिन लोगों ने अंगरेजों की गुलामी की है, उनके पास हजारों बीघा जमीन है, लेकिन जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें उनका हक कौन देगा?

आज भी हजारों लोग दानपत्र की जमीन पर निवास कर रहे हैं. वैसे लोगों के लिए कौन-सा नियम बनेगा? मुख्यमंत्री जी झारखंड की स्थानीय नीति घोषित करते समय सबका ख्याल रखा जाये.

सुनील मंडल, ई-मेल से

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