ये कानून का मजाक है या कुछ और?
रविवार को प्रभात खबर में प्रकाशित एक समाचार को देख कर हंसी भी आयी और बाद में डर भी लगने लगा. एक सवाल मन में बार-बार कुरेदने लगा कि क्या कानून से कुछ भी नहीं होगा अब? समाचार यह था कि पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को एक वर्ष की सजा और ठीक उसके नीचे लिखा […]
रविवार को प्रभात खबर में प्रकाशित एक समाचार को देख कर हंसी भी आयी और बाद में डर भी लगने लगा. एक सवाल मन में बार-बार कुरेदने लगा कि क्या कानून से कुछ भी नहीं होगा अब? समाचार यह था कि पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को एक वर्ष की सजा और ठीक उसके नीचे लिखा था, जमानत भी मिली, सारे अन्य आठ आरोपी भी रिहा.
सवाल यह है कि अगर जमानत ही देना था, तो उन्हें सीधे रिहा ही कर देते! इससे समाज को क्या संदेश दिया जा रहा है? कुछ दिनों पहले सलमान खान और अब योगेंद्र साव.
इन घटनाओं से कोई कैसे कानून पर भरोसा करे और आखिर करे भी तो क्यों करे? मंत्री जी और सलमान खान जैसे अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा पीड़ित परिवार क्या अब कभी कानून के द्वार पर दस्तक देने जायेंगे? क्या वे कानून पर भरोसा कर पायेंगे?
लीजा रानी प्रधान, चक्रधरपुर