एक अच्छी योजना के प्रति लापरवाही

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जन धन योजना का बखान करते नहीं थकते. उनके इस कथन में सच्चई भी है कि इस योजना ने उन गरीबों को सम्मानित खाताधारक बना दिया है जो कभी बैंक में घुसने तक की हिम्मत नहीं कर पाते थे. देश के वित्तीय तंत्र से ग्रामीणों, गरीबों, वंचितों को जोड़ने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2015 5:05 AM
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जन धन योजना का बखान करते नहीं थकते. उनके इस कथन में सच्चई भी है कि इस योजना ने उन गरीबों को सम्मानित खाताधारक बना दिया है जो कभी बैंक में घुसने तक की हिम्मत नहीं कर पाते थे.
देश के वित्तीय तंत्र से ग्रामीणों, गरीबों, वंचितों को जोड़ने के लिए, बिलाशक यह बेहतरीन योजना है. लेकिन प्रधानमंत्री की पार्टी की सरकार वाले राज्य, झारखंड में इसका हाल ज्यादा अच्छा नहीं है. सरकार व बैंकों के बीच तालमेल की कमी के कारण राज्य के कई क्षेत्रों में अब भी बैंकिंग सुविधा नहीं पहुंच पा रही है. किसी को रुपे कार्ड नहीं मिला है, तो किसी का खाता ही चालू नहीं हो पाया है.
इसके अलावा राज्य में अभी लगभग 40 हजार घर बैंकिंग सुविधा से वंचित हैं. बैंक संचालक बताते हैं कि बैंकिंग सुविधाओं को राज्य के आखिरी आदमी तक पहुंचाने के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी. अगर यह सही है तो बैंक कर ही क्या सकते हैं.
झारखंड का बुनियादी ढांचा जजर्र है. आज जितनी जरूरत हाइवे की है, उतनी ही जरूरत ‘आइ-वे’ (इंटरनेट लाइन) की भी है. जन धन योजना के तहत जितनी बड़ी संख्या में खाते खुले हैं, उन्हें बैंक तभी समुचित सेवा दे पायेंगे जब ‘बैंक मित्र’ व्यवस्था ठीक से काम करने लगे.
बैंक मित्रों को जरूरी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लैस करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, पर इसमें वह पिछड़ती दिख रही है. सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर बैंक मित्र व्यवस्था ठीक नहीं की गयी, तो इन नये ग्राहकों के बोझ से पूरा बैंकिंग ढांचा चरमरा जायेगा. जितनी जल्दी सभी जन धन खातों को पूरी तरह सक्रिय कर काम करने लायक बना दिया जायेगा, उतनी ही जल्दी सरकार सीधे नकद ट्रांसफर (डीबीटी) योजना को मूर्त रूप दे पायेगी.
इसके तहत सरकार तरह-तरह की सब्सिडी लाभुकों के खाते में सीधे डालना चाहती है, ताकि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से बीच में चोरी बंद हो और भ्रष्टाचार पर लगाम लगे. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को चाहिए कि वह प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं के महत्व को समङों और उन्हें जमीन पर साकार रूप देने के लिए, जहां-जहां जो कमियां हैं उनको दूर करने का काम शुरू करें.

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