अच्छी पहल, पर सतर्कता जरूरी

झारखंड सरकार ने नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए एक नयी रणनीति बनायी है. नक्सल प्रभावित इलाकों में वीआइपी, खास कर राजनेताओं की सुरक्षा के लिए नियम परिवर्तन किये जायेंगे. किसी राजनेता के कार्यक्रम के दौरान या रास्ते में उन पर हमले की सूचना मिलने पर पुलिस उन्हें रोकेगी नहीं. उनके आवागमन का रूट भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2013 2:26 AM

झारखंड सरकार ने नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए एक नयी रणनीति बनायी है. नक्सल प्रभावित इलाकों में वीआइपी, खास कर राजनेताओं की सुरक्षा के लिए नियम परिवर्तन किये जायेंगे. किसी राजनेता के कार्यक्रम के दौरान या रास्ते में उन पर हमले की सूचना मिलने पर पुलिस उन्हें रोकेगी नहीं. उनके आवागमन का रूट भी बदलने से परहेज किया जायेगा. पुलिस का मानना है कि ऐसा करने से नक्सलियों का मनोबल बढ़ता है.

अब पुलिस राजनेताओं की सुरक्षा बढ़ा कर उन्हें रास्ता पार करा कर कार्यक्रम पूरा करायेगी. यह एक अच्छी पहल है. डर का मुकाबला डर कर नहीं किया जा सकता. एक पुरानी कहावत है कि डर आपको तभी तक सताता है, जब तक आप डरते हों. निश्चित ही इस नयी रणनीति से नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह पर झारखंड में वीआइपी सुरक्षा को और मजबूत किया जा रहा है. विदित है कि राज्य के कई राजनेता नक्सलियों के निशाने पर हैं.

नक्सलियों ने उन पर हमले की पूरी योजना बना रखी है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि पुलिस प्रशासन, खुफिया विभाग और राज्य सरकार जो भी कदम उठायें, बहुत सोच-समझ कर उठायें. क्योंकि थोड़ी भी असावधानी बड़े खतरे को न्योता दे सकती है. घोषित राजनीतिक कार्यक्रमों की पूरी रूपरेखा नक्सलियों के पास होती है, इसीलिए वे हमले की पूर्व योजना बना लेते हैं. ऐसे में नक्सली हमले की योजना का अंदाजा लगाना और फिर उससे बचने का उपाय करना सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है.

चूंकि झारखंड, ओड़िशा और छतीसगढ़ में नक्सलियों का मनोबल ऊंचा है. वे आये दिन किसी न किसी वारदात को अंजाम देते रहते हैं. ऐसे में जरूरी है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलजुल कर कोई ठोस रणनीति बनायें, ताकि नक्सली गतिविधियों पर काबू पाये जा सके. हाल के दिनों में झारखंड, ओड़िशा और छतीसगढ़ में कई नक्सली या तो मुठभेड़ में मारे गये या गिरफ्तार किये गये. पर यह अभियान अनवरत जारी रहना चाहिए. यह सच है कि वीआइपी सुरक्षा पर सरकारें करोड़ों रुपये खर्च करती हैं, इसके बावजूद सब डरे-डरे ही रहते हैं. हमें इस डर के पार जाना होगा, तभी नक्सलियों के खिलाफ सफलता मिलेगी.

Next Article

Exit mobile version