ये ठेकेदारों की मनमानी ही तो है?
गिद्धों की तरह जनता के धन पर नजर गड़ाये ठेकेदार इन दिनों जनता पर खूब जुल्म ढा रहे हैं. इस समय वे किसी के भी काबू में नहीं हैं, क्योंकि ये लोग नेताओं और नौकरशाहों के सीधे संपर्क और समर्थन में हैं. सही बात है कि जब सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का. […]
गिद्धों की तरह जनता के धन पर नजर गड़ाये ठेकेदार इन दिनों जनता पर खूब जुल्म ढा रहे हैं. इस समय वे किसी के भी काबू में नहीं हैं, क्योंकि ये लोग नेताओं और नौकरशाहों के सीधे संपर्क और समर्थन में हैं. सही बात है कि जब सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का.
ये लोग बहुत छोटे से दो दिन के काम को भी सौ दिन में करने के लिए लंबा लटकाये रखते हैं, ताकि इसे बहुत बड़ा दिखाया जा सके और आम जनता को बडी परेशानी से यह ढिंढोरा भी पीटा जा सके कि उनके यहां बहुत बड़ा काम हो रहा है.
अरब देशों की तरह कुछ को तो शायद ऊंट दौड़ के खेल को देखने का भी शौक हो. ये लोग गलियों, सड़कों, नालों, पुलों आदि की खुदाई और तोड़फोड़ के मलबे व म्टिटी और निर्माण सामग्री रेत, रोड़ी और ईंट-पत्थर आदि को भी आम रास्तों में बेहद फूहड़ तरीके से बहुत लंबे समय तक रखते हैं.
वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली