विधायिका की साफ सफाई जरूरी

झारखंड हाइकोर्ट में सरकार की ओर से लिखित जानकारी दी गयी है कि राज्य के 41 विधायकों के खिलाफ विभिन्न थानों में मामले दर्ज हैं. इनमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और छह मंत्री भी शामिल हैं. वैसे, सांसदों–विधायकों पर मुकदमा होना सामान्य बात है. ये जनप्रतिनिधि हैं, इसलिए जनता की मांगों को लेकर आंदोलन करते रहते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2013 4:20 AM

झारखंड हाइकोर्ट में सरकार की ओर से लिखित जानकारी दी गयी है कि राज्य के 41 विधायकों के खिलाफ विभिन्न थानों में मामले दर्ज हैं. इनमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और छह मंत्री भी शामिल हैं.

वैसे, सांसदोंविधायकों पर मुकदमा होना सामान्य बात है. ये जनप्रतिनिधि हैं, इसलिए जनता की मांगों को लेकर आंदोलन करते रहते हैं. परिणामस्वरूप इन पर मामले भी दर्ज होते हैं. लेकिन चिंता तब होती है, जब इनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होते हैं. अधिकतर विधायकों पर शांति भंग करने, सरकारी कामकाज में बाधा डालने के आरोप हैं. इन आरोपों का संबंध आंदोलनों से है.

पर कुछ ऐसे विधायक हैं, जिन पर हत्या या हत्या के प्रयास के आरोप हैं.अधिकारियों के साथ मारपीट करने के आरोप हैं. गोली चलाने और अपहरण के आरोप हैं. ये सभी आरोप गंभीर हैं. विधायक जनप्रतिनिधि हैं.

इनका चरित्र इतना अच्छा होना चाहिए कि वे उदाहरण बन सकें. जैसा राजा, वैसी प्रजा. अगर विधायक ही मारपीट करने लगें, गोली चलाने लगें, अपहरण करने लगें, तो बाकी कार्यकर्ता इससे आगे निकल जायेंगे.

किसी भी विधायक को यह शोभा नहीं देता, कानून भी अनुमति नहीं देता कि वह हथियारों का प्रदर्शन करे. छोटेमोटे मामले तो किसी भी राजनेता के खिलाफ दर्ज होते रहते हैं. जब आप सार्वजनिक जीवन जीते हैं, तो आरोप लग सकते हैं, मुकदमा हो सकता है. जनता भी इसे समझती है.

पर मर्यादा का पालन होना चाहिए. विधायक होने का यह मतलब नहीं हो जाता कि आपको कानून हाथ में लेने का अधिकार मिल गया. भले ही झारखंड के विधायकमंत्रियों पर बलात्कार के मामले नहीं चल रहे हैं, जैसा कि राजस्थान के मंत्रियों के खिलाफ चल रहा है, पर हत्या के मामले तो चल ही रहे हैं.

इनमें से एक सावना लकड़ा को तो सजा भी हो चुकी है. राजनीति को साफसुथरा बनाना है, तो दलों को कड़े निर्णय लेने होंगे. सच तो यही है कि जो बाहुबली हैं, उसके जीतने की संभावना अधिक होती है. इसलिए दागी होने के बावजूद उन्हें टिकट मिलता है. दलों को चाहिए कि वे टिकट बांटने के वक्त ही न्यूनतम अनुशासन बनायें. ऐसे गंभीर आरोपवालों को टिकट से वंचित करना होगा, तभी राजनीति साफसुथरी हो सकती है.

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