चेक की रसीद देने से कतराते बैंक

इसमें कोई शक नहीं कि प्राय: हर बैंक में कर्मचारियों की जिम्मेवारियां बढ़ गयी हैं, जैसे बीपीएल का खाता खोलना, मनरेगा के पैसे बैंक के खातों में डालना, हर तरह के कर्ज सरकारी आदेश के अनुसार देना और उन्हें वसूलना, कहीं-कहीं जीवन बीमा बेचना आदि. लेकिन इन सब के बीच एक और जिम्मेवारी होती है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2013 1:43 AM

इसमें कोई शक नहीं कि प्राय: हर बैंक में कर्मचारियों की जिम्मेवारियां बढ़ गयी हैं, जैसे बीपीएल का खाता खोलना, मनरेगा के पैसे बैंक के खातों में डालना, हर तरह के कर्ज सरकारी आदेश के अनुसार देना और उन्हें वसूलना, कहीं-कहीं जीवन बीमा बेचना आदि.

लेकिन इन सब के बीच एक और जिम्मेवारी होती है चेक को ग्रहण करना और उसकी रसीद देना, जो लगभग सभी बैंकों ने निभानी बंद कर दी है. इसकी जगह एक बॉक्स बना दिया गया है, जिसमें जमा पर्ची के साथ चेक को डाल देना होता है.

इसके बदले कोई अधिकृत रसीद नहीं मिलती है. अब ग्राहक के पास कोई सबूत नहीं होता कि उसने चेक ड्रॉप बॉक्स में डाला है या नहीं. वैसे अधिकतर मामलों में उन चेकों का निष्पादन सही तरीके से हो जाता है, लेकिन ऐसे भी मामले सामने आये हैं जिनमें चेक का पता ही नहीं चलता. इस बारे में बैंक ध्यान दें.

टीएसपी सिन्हा, मानगो, जमशेदपुर

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