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बनी रहे फुटबॉल की रौनक
सैप ब्लैटर का फीफा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना भले ही किसी को चौंकाने वाला कदम लगता हो, मगर मुङो एक सामान्य सी घटना लगती है. आज नहीं तो कल, यह होना ही था. विश्व फुटबॉल की यह संस्था निश्चित रूप से खेल को आगे बढ़ाने में, लोगों की इस खेल के प्रति दीवानगी […]
सैप ब्लैटर का फीफा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना भले ही किसी को चौंकाने वाला कदम लगता हो, मगर मुङो एक सामान्य सी घटना लगती है. आज नहीं तो कल, यह होना ही था. विश्व फुटबॉल की यह संस्था निश्चित रूप से खेल को आगे बढ़ाने में, लोगों की इस खेल के प्रति दीवानगी के हद तक चाहत को कायम रखने में फीफा के साथ-साथ सैप ब्लैटर का बहुत बड़ा योगदान है. 1998 से लेकर अब तक ब्लैटर ही फीफा की कमान सम्हाले हुए थे.
अभी पिछले हफ्ते ही, विवादों और इस्तीफे के मांग के बीच इन्होंने 76 के मुकाबले 133 मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की. मगर जैसा कि होता आया है, जिस भी खेल को लोग दीवानगी की हद तक फॉलो करते हों, स्टेडियम की सारी सीटें एक साल पहले से ही बुक हो जाती हों, टीवी विज्ञापनदाता मैच के 10 सेकेंड के टाइम स्लॉट के लिए अतिरिक्त शुल्क देने पर आमादा हों, वहां भ्रष्टाचार की संभावना सबसे अधिक होना लाजिमी है.
यहां भी यही हुआ है. फीफा के चार अधिकारियों पर एक हजार करोड़ के भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो चुकी है. अमेरिकी एफबीआइ ने सूचित किया है कि इस मामले में ब्लैटर की भी जांच होनी है. इन परिस्थितियों में इनके पास विकल्प ही नहीं बचे थे, सिवा इस्तीफा देने के.
मौजूदा हालात को देखते हुए अब ऐसा लगता है कि फुटबाल विश्वकप 2018 का आयोजन जो रूस में होना है और 2022 की मेजबानी खाड़ी के देश कतर को दी गयी है, अब इन दोनों की मेजबानी खतरे में पड़ सकती है क्योंकि मैचों के आयोजन स्थल आवंटित करने में ही भारी घोटाला किया गया है. आशा करनी चाहिए कि इन उथलपुथल के बावजूद, फुटबॉल बतौर खेल, लोगों की पहली पसंद बना रहेगा.
जंगबहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर
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