पिछले कुछ दशकों में भारत में जिस तरह जनसंख्या विस्फोट हुआ है, उस अनुपात में शिक्षा के स्तर में सुधार नाकाफी हैं. देश में नये स्कूल, कॉलेज तो कई खुल चुके हैं, लेकिन शिक्षा के स्तर में इसके स्तर में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है.
परिणामस्वरूप देश में बेरोजगारी की दर भी लगातार बढ़ती जा रही है. यह देश और उसकी जनता के लिए खतरे की घंटी है.हमारे देश के राजनेता विकास के दावे तो बड़े लंबे-चौड़े करते हैं, लेकिन शिक्षा के स्तर में सुधार करने का काम कोई नहीं कर रहा है. भारत के इन कर्णधारों को यह मालूम होना चाहिए कि तकनीकी कौशल के बिना देश की आर्थिक प्रगति संभव नहीं है. जरा खुद सोचें कि जब देश के लोग शिक्षित होकर काम में हाथ नहीं बंटायेंगे, तो औद्योगिक उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार नहीं होगा. आज जरूरत डिग्री की नहीं स्किल की है.
अंशुल अग्रवाल, निरसा, धनबाद