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ढूंढे नहीं मिलती पार्किग की जगह
रांची, जमशेदपुर, धनबाद जैसे झारखंड के बड़े शहरों में अपार्टमेंट और शॉपिंग मॉल कल्चर पूरे शबाब पर है. दिन पर दिन पुरानी इमारतों को तोड़कर 10-12 तल्लों की ऊंची बिल्डिंगें बनायी जा रही हैं. कई रिहाइश के लिए तो कई वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी. निस्संदेह ये इमारतें शहर के वाशिंदों के उन्नत होते जीवन […]
रांची, जमशेदपुर, धनबाद जैसे झारखंड के बड़े शहरों में अपार्टमेंट और शॉपिंग मॉल कल्चर पूरे शबाब पर है. दिन पर दिन पुरानी इमारतों को तोड़कर 10-12 तल्लों की ऊंची बिल्डिंगें बनायी जा रही हैं. कई रिहाइश के लिए तो कई वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी. निस्संदेह ये इमारतें शहर के वाशिंदों के उन्नत होते जीवन स्तर की स्थिति बयां करती हैं.
लेकिन इन अपार्टमेंट ऑर मॉल्स में आगंतुकों के वाहनों के लिए पार्किग की जगह ढूंढे नहीं मिलती. ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में बिल्डर और डेवलपर भूखंड की एक-एक इंच जगह का इस्तेमाल कर लेते हैं, लेकिन पार्किग, ड्रेनेज आदि जरूरी चीजों के लिए जगह नहीं छोड़ते.
जिन मॉल्स में पार्किग की जगह होती भी है, वहां इसका शुल्क महंगा है जिसे अदा करना साधारण इनसान को अखरता है. इसका कोई हल निकाला जाये.
विमल मिंज, रांची
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