प्रकृति को विकृत करने की भूल

मौसम विभाग ने अंदेशा जताया है कि इस बार बारिश 20 प्रतिशत कम होगी. अखबारों में भी खबरें आती रहती हैं कि मानसून विलंब से आयेगा और बारिश कम होगी. लेकिन क्या ऐसी हालत के लिए हम जिम्मेवार नहीं हैं. प्रकति के साथ हमने इतनी छेड़छाड़ की है कि प्रदूषण से वातावरण एवं पर्यावरण असंतुलित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2015 5:31 AM
मौसम विभाग ने अंदेशा जताया है कि इस बार बारिश 20 प्रतिशत कम होगी. अखबारों में भी खबरें आती रहती हैं कि मानसून विलंब से आयेगा और बारिश कम होगी. लेकिन क्या ऐसी हालत के लिए हम जिम्मेवार नहीं हैं.
प्रकति के साथ हमने इतनी छेड़छाड़ की है कि प्रदूषण से वातावरण एवं पर्यावरण असंतुलित हो गया है. इसका असर मानसून पर भी पड़ रहा है. एक तो मानसून के विलंब से आने के संकेत मिलते हैं और बारिश की औसत मात्र भी कम होती जा रही है. इसका सीधा प्रभाव पेड़-पौधों एवं जीवों पर तो पड़ता ही है, साथ ही इनसान के जीवन-यापन पर भी गंभीर संकट डालता है.
भारत में जहां अधिकतर खेती अब भी मानसून पर निर्भर है, वह बिखर जाती है. फलत: उत्पादन कम होता है, नतीजा महंगाई. समय रहते हमें हरियाली बढ़ा कर प्रदूषण कम करने के उपाय तलाशने होंगे.
मोहित सिन्हा, कदमा, जमशेदपुर

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