मौजूदा हालात में मीडिया का दायित्व

निश्चित ही यह सबको जानने और समझने का हक है कि हमारे द्वारा ईमानदारी से अदा किये गये टैक्स के पैसे का, हमारे द्वारा ही चुन कर भेजे गये जनप्रतिनिधि, कैसे और कहां खर्च करते हैं? लेकिन इस बात से देश की एक बहुत बड़ी आबादी अनभिज्ञ है. बहुत से लोग यह भी नहीं जानते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2013 1:59 AM

निश्चित ही यह सबको जानने और समझने का हक है कि हमारे द्वारा ईमानदारी से अदा किये गये टैक्स के पैसे का, हमारे द्वारा ही चुन कर भेजे गये जनप्रतिनिधि, कैसे और कहां खर्च करते हैं? लेकिन इस बात से देश की एक बहुत बड़ी आबादी अनभिज्ञ है. बहुत से लोग यह भी नहीं जानते कि वे किस प्रकार सरकार को टैक्स देते हैं. वे केवल यह जानते हैं कि वे पैसा देकर सामान खरीदते हैं. टैक्स कैसे सरकार तक पहुंचता है, किन-किन विभागों के लिए उस पैसे से किस तरह अलग-अलग फंड बनता है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. सरकार किस प्रकार उन पैसों को मंत्रियों के ऐशो-आराम में बेहिसाब लुटा रही है, इतनी बड़ी बात जानने और समझने की बात तो बहुत दूर की है.

हम कहते हैं कि जिस दिन जनता जाग जायेगी, हिसाब मांगेगी (अनुज कुमार सिन्हा जी का लेख, 10 सितंबर 2013). इस बात से मैं सौ प्रतिशत सहमत हूं. पर सवाल यह है कि जनता आखिर कब और कैसे जागेगी? खुद जाग पाने में तो इसे सदियों लग जायेंगे. उसे कौन जगायेगा? निश्चित रूप से मीडिया ही उसे जगायेगा. लोगों में जागरूकता लाने और देश की आब-ओ-हवा को बदलने की क्षमता मीडिया बखूबी रखता है.

ऐसा स्वतंत्रता के पूर्व से अब तक होता दिखायी देता रहा है. लेकिन आज के मीडिया के लोगों में वैसा जज्बा कम ही दिखता है. वर्तमान में मीडिया भी उसी के सकारात्मक पक्ष को उभारता है, जिसका पलड़ा भारी हो, या जिसके बारे में नहीं दिखाने से खतरे की संभावना दिखती हो. राजनीतिक पार्टियां तो सत्ता की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं, चाहे देश का कुछ भी हो जाये. ऐसे में मीडिया अपने मकसद के तहत देश के नवनिर्माण में अपनी महती जिम्मेदारी निभा सकता है.
मोहम्मद सलीम, बरकाकाना

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