प्राथमिक शिक्षा में ही विषमता क्यों?

दो सौ सालों तक आजादी की लड़ाई के बाद देश में गणराज्य की स्थापना हुई. एक नये कीर्तिमान के साथ यहां के लोगों ने शिखर पर चढ़ने का सपना देखा, लेकिन स्थिति यह है कि आज शिक्षा व्यवस्था अमीरी और गरीबी के बीच बंट गयी है. सरकारी स्कूल में कितने शिक्षक हैं, कितने पारा हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2015 5:09 AM
दो सौ सालों तक आजादी की लड़ाई के बाद देश में गणराज्य की स्थापना हुई. एक नये कीर्तिमान के साथ यहां के लोगों ने शिखर पर चढ़ने का सपना देखा, लेकिन स्थिति यह है कि आज शिक्षा व्यवस्था अमीरी और गरीबी के बीच बंट गयी है.
सरकारी स्कूल में कितने शिक्षक हैं, कितने पारा हैं, कितने कमरे हैं? इसकी जानकारी ग्रामीणों को नहीं है, क्योंकि ये बनते रहते हैं. सवाल यह नहीं है. सबसे बड़ा प्रश्न है कि स्कूलों में बच्चों की संख्या कितनी है? इसकी जानकारी ग्रामीणों को है, क्योंकि ये घटते रहते हैं.
जिनके पास पर्याप्त आर्थिक संसाधन है, वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजते हैं और जिनके पास पैसे नहीं हैं, वे सरकारी स्कूलों में ही रहने देते हैं. निजी और सरकारी स्कूलों का अंतर समाप्त करना है, लेकिन कैसे? यह किसी को पता नहीं है.
नंदकिशोर दास, पैसरा, सासाराम

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