आखिर जाममुक्त कब होगा यह शहर?
झारखंड की राजधानी रांची बन तो गयी, लेकिन इसका खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है. नित नये प्रयोग किये जा रहे हैं, लेकिन सभी फेल हो रहे हैं. आज डेढ़ दशक बाद भी यह शहर राजधानी का स्वरूप नहीं ले सका है. सड़कों के किनारे लगी स्ट्रीट लाइटें हमेशा बुझी ही रहती […]
झारखंड की राजधानी रांची बन तो गयी, लेकिन इसका खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है. नित नये प्रयोग किये जा रहे हैं, लेकिन सभी फेल हो रहे हैं. आज डेढ़ दशक बाद भी यह शहर राजधानी का स्वरूप नहीं ले सका है. सड़कों के किनारे लगी स्ट्रीट लाइटें हमेशा बुझी ही रहती हैं.
सड़कों और चौक-चौराहों पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. सुबह जल्दी घर से निकलनेवाला व्यक्ति अपना काम करके जल्दी घर लौट नहीं सकता. कारण यह है कि यदि वह निजी वाहन से है, तो जाम में फंसे रहना है और यदि वह सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का इस्तेमाल करता है, तब भी जाम में फंसता है.
फुटपाथों पर अतिक्रमण होने से लोगों का चलना मुहाल है. सड़कों पर गाड़ियां रेंगती हैं, तो फुटपाथ दुर्घटना को न्योता देते नजर आते हैं. आखिर शहर इस जाम से मुक्त कब होगा?
किशन अग्रवाल, रांची