आगे भी बनी रहे यह सक्रियता
सचमुच मुजफ्फरपुर के वे लोग बधाई के योग्य हैं, जिन्होंने पटना की एक युवती को रेड लाइट एरिया में बेचे जाने से पहले, सक्रियता दिखाते हुए बचा लिया. एक तरफ यह खबर सुकून पहुंचानेवाली है, वहीं यह मानव तस्करी के बढ़ते खतरे के प्रति आगाह करती है. युवती के पति ने उसे छोड़ दिया है […]
सचमुच मुजफ्फरपुर के वे लोग बधाई के योग्य हैं, जिन्होंने पटना की एक युवती को रेड लाइट एरिया में बेचे जाने से पहले, सक्रियता दिखाते हुए बचा लिया. एक तरफ यह खबर सुकून पहुंचानेवाली है, वहीं यह मानव तस्करी के बढ़ते खतरे के प्रति आगाह करती है.
युवती के पति ने उसे छोड़ दिया है और उसके घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. इन्ही परेशानियों के बीच एक महिला ने काम दिलाने का प्रलोभन दिया और उसे जिस्मफरोशी के बाजार में बेचने की कोशिश की. जाहिर है, न तो ऐसी परेशानियों से जूझती युवतियों की कमी है और न ही गलत रास्ते पर धकेलनेवाले दलालों की.
दरअसल, ऐसी गरीब व परेशान युवतियों को बेचे जाने का सही–सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है. इसके बावजूद कुछ तथ्य स्पष्ट हैं कि इसके पीछे प्रमुख कारण गरीबी, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न, शिक्षा व जागरूकता का अभाव और कानून लागू करनेवाली एजेंसियों की उदासीनता हैं.
मानव तस्करी का शिकार युवतियों के अलावा छोटे बच्चे भी होते हैं. बच्चों का भी यौन शोषण किया जाता है और उन्हें विभिन्न कारखानों या घरेलू कार्यो में बंधुआ मजदूरों–सा काम कराया जाता है. कई बार बच्चों को पोर्नोग्राफी में भी धकेला जाता है. एक गैर सरकारी आंकड़े के अनुसार कुल मानव तस्करी का 66 प्रतिशत जिस्मफरोशी के लिए होता है.
मुजफ्फरपुर के अलावा कई शहरों में डांस पार्टी के नाम पर यह धंधा चलता है और इनका नेटवर्क बदनाम मंडियों से लेकर गांवों तक फैला है. समय–समय पर कानून लागू करनेवाली संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन इस मसले पर आगे आते हैं.
इसी रेड लाइट एरिया में जन्मी और बड़ी हुई एक युवती यहां गैर सरकारी संस्था के जरिये मानव तस्करी के खिलाफ वर्षो से काम कर रही है, पर इतने वर्षो में यहां की कितनी युवतियां मानव तस्करी के खिलाफ आगे आयीं?
व्यक्तिगत प्रयास अच्छा है, पर मानव तस्करी रोकने के लिए केवल यही काफी नहीं होगा, बल्कि संबंधित सभी विभागों पुलिस, बाल एवं महिला कल्याण, स्वास्थ्य और सामाजिक संगठनों की एक समेकित योजना व प्रयास होना चाहिए. कानून लागू करनेवाली एजेंसियों व समाज को जागरूक करना होगा. जागरूकता व सक्रियता से ही मानव तस्करी पर अंकुश संभव होगा.