कथनी और करनी में इतना बड़ा अंतर?
कॉलेज का लेक्चरर था. सोशल साइंस के प्रोफेसर सामने खड़े थे. पूरी क्लास भरी थी. विषयांतर कर प्रोफेसर साहब ने चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा, आज आते समय फलां चौक पर काफी भीड़ थी. पता चला, बिना हेलमेटवाले दोपहिया वाहन चालकों से फाइन वसूला जा रहा है. हेलमेट न पहनने से देश में हरेक साल डेढ़ […]
कॉलेज का लेक्चरर था. सोशल साइंस के प्रोफेसर सामने खड़े थे. पूरी क्लास भरी थी. विषयांतर कर प्रोफेसर साहब ने चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा, आज आते समय फलां चौक पर काफी भीड़ थी. पता चला, बिना हेलमेटवाले दोपहिया वाहन चालकों से फाइन वसूला जा रहा है.
हेलमेट न पहनने से देश में हरेक साल डेढ़ से दो लाख लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं. यातायात पुलिस ने काफी प्रयास किया, परंतु युवावर्ग में सुधार नहीं हुआ. कुछ पल चुप रहने के बाद वे पूछे, इसका समाधान कैसे होगा?
इसका जवाब कई छात्रों ने दिया, पर वह संतुष्ट न हुए. एक लड़के ने कहा कि दुनिया में कोई काम असंभव नहीं है. उसका जवाब सुन प्रोफेसर साहब कुछ संतुष्ट नजर आये. क्लास ऑफ होने के बाद उन्होंने देखा कि उन्हें संतुष्ट करनेवाला लड़का ही बिना हेलमेट के अपनी बाइक चला रहा है.
गोपाल राई, रांची