बेहाल झारखंड के बदहाल विद्यालय
14 साल की आयु के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने 2009 में राइट टू एजुकेशन एक्ट पास किया. कानून तो पास हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. झारखंड में बहुत सी जगहें ऐसी हैं, जहां बच्चे हैं, तो स्कूल नहीं. स्कूल हैं, तो […]
14 साल की आयु के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने 2009 में राइट टू एजुकेशन एक्ट पास किया. कानून तो पास हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
झारखंड में बहुत सी जगहें ऐसी हैं, जहां बच्चे हैं, तो स्कूल नहीं. स्कूल हैं, तो अध्यापक नहीं. अध्यापक हैं, तो किताबें नहीं. ऐसे में हम झारखंड के बच्चों का भविष्य कैसे सुधार सकते हैं? राज्य में अब भी 50 प्रतिशत बच्चे स्कूल का मुंह नहीं देख पाते. कुछ बच्चे स्कूल में सिर्फ खिचड़ी खाने आते हैं. सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में बहुत गिरावट आयी है. विद्यालय में योग्य शिक्षकों की कमी मुख्य कारण है.
सर्व शिक्षा अभियान प्रभावी ना होना, स्कूलों में कमरों की कमी, स्थायी व योग्य शिक्षकों का अभाव के साथ शिक्षकों पर गैर शैक्षणिक कार्य का बोझ भी शिक्षा के स्तर को गिराने के जिम्मेदार है.
पूनम गुप्ता, मधुपुर