जिम्मेदारियों से मुंह फेर रहे सांसद

बीते साल आम चुनाव के दौरान देश के करोड़ों मतदाताओं ने विपरीत परिस्थितियों और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत कार्यों को दरकिनार कर वोट दिया था. अपेक्षा थी कि शक्ति मिलने के बाद राजनेता अपने क्षेत्र की जनता को विभिन्न समस्याओं से मुक्ति दिला कर संसद में उनके अधिकारों व सम्मान को पुन: वापस लाने के लिए अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2015 5:20 AM
बीते साल आम चुनाव के दौरान देश के करोड़ों मतदाताओं ने विपरीत परिस्थितियों और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत कार्यों को दरकिनार कर वोट दिया था. अपेक्षा थी कि शक्ति मिलने के बाद राजनेता अपने क्षेत्र की जनता को विभिन्न समस्याओं से मुक्ति दिला कर संसद में उनके अधिकारों व सम्मान को पुन: वापस लाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे.
दुर्भाग्यवश एक वर्ष बीत गये, लेकिन हमारे त्याग की जो कीमत उन्हें चुकानी थी, उसकी फूटी कौड़ी तक उन्होंने खर्च नहीं की. हमारी अपेक्षाओं पर वे तनिक भी खरे नहीं उतरे.
पहले साल में ही इन माननीयों ने अपने उत्तरदायित्व के प्रति ईमानदार न रह कर हमारे कीमती वोटों का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया है. यह अत्यंत दुखद है कि गांवों के प्राचीन गौरव को वापस लाने के लिए तैयार महात्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना के लागू होने के आठ माह बाद भी 108 सांसदों ने अपने गांव का चुनाव नहीं किया है. समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा करके वे क्या साबित करना चाहते हैं? पता नहीं, वे प्रधानमंत्री मोदी का विरोध कर रहे हैं या गरीब जनता के विकास का? जबकि इसके तहत उन्हें कुछ करना नहीं था, केवल ग्रामीणों को दिशा दिखानी थी.
जब हमारे सांसद अपनी निधि के मद खर्च नहीं कर सकते, अपने क्षेत्र का दौरा नहीं कर सकते, संसद में सवाल नहीं पूछ सकते, तो क्या जरूरत है इस खर्चीली संसदीय व प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र की?
इससे और शर्मनाक बात विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के लिए क्या हो सकती है, जहां लोकतत्र की रीढ़ समङो जानेवाले जनप्रतिनिधि अपने दायित्वों के प्रति बेपरवाह नजर आते हैं? यह तो भोली-भाली जनता की भावनाओं व सम्मान के साथ मजाक है.
सुधीर कुमार, राजाभीठा, गोड्डा

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