गंभीर हैं सुषमा पर लग रहे आरोप
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का लंबा राजनीतिक कैरियर कमोबेश बेदाग रहा है, लेकिन केवल इस आधार पर ललित मोदी प्रकरण में विपक्ष की ओर से उन पर लगाये जा रहे गंभीर आरोपों को गैरवाजिब नहीं ठहराया जा सकता. आइपीएल कमिश्नर रहे ललित मोदी की विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन से संबंधित 425 करोड़ रुपये के […]
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का लंबा राजनीतिक कैरियर कमोबेश बेदाग रहा है, लेकिन केवल इस आधार पर ललित मोदी प्रकरण में विपक्ष की ओर से उन पर लगाये जा रहे गंभीर आरोपों को गैरवाजिब नहीं ठहराया जा सकता.
आइपीएल कमिश्नर रहे ललित मोदी की विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन से संबंधित 425 करोड़ रुपये के घपले में प्रवर्तन निदेशालय को तलाश है, उनके नाम से ब्लू कार्नर नोटिस जारी हो चुका है और वे लंदन में एक तरह से निर्वासित जीवन बिता रहे हैं. ऐसा व्यक्ति अगर मानवीय आधार पर कोई अपील करता है, तो सुषमा स्वराज जैसे वरिष्ठ एवं अनुभवी राजनेता से इतनी उम्मीद तो की ही जानी चाहिए कि उसकी कोई भी मदद करते समय वे संबंधित पक्षों को इसकी जानकारी देंगी और उन्हें विश्वास में लेंगी.
यदि सुषमा ने कैबिनेट के साथियों और प्रवर्तन निदेशालय को ललित मोदी की मदद करने के अपने फैसले से अवगत कराया होता, तो शायद इस प्रकरण पर विपक्ष को तेवर दिखाने के मौके नहीं मिलते. सवाल यह भी है कि ललित मोदी को यदि अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी के उपचार के लिए इंग्लैंड से पुर्तगाल जाना था, तो उन्होंने मानवीय आधार पर इसकी अनुमति देश-विदेश के किसी अदालत से न मांग कर सीधे विदेश मंत्री से क्यों मांगी?
मीडिया की खबरों में बताया गया है कि सुषमा के पति, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल की ललित मोदी से 20 साल पुरानी दोस्ती रही है और वे ललित मोदी को पिछले कई सालों से कानूनी सलाह दे रहे हैं.
इतना ही नहीं, सुषमा स्वराज की वकील बेटी बांसुरी कौशल भी पिछले सात सालों में कई बार अदालत में ललित मोदी की पैरवी कर चुकी हैं. ऐसे में एक बड़े घोटाले के आरोपी को भारतीय विदेश मंत्री द्वारा निजी तौर पर मदद पहुंचाने से देश-विदेश में भारत सरकार की छवि को धक्का लगा है.
उस सरकार की छवि को, जिसने भ्रष्टाचार मुक्त शासन को अपनी एक साल की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में गिनाया था. जाहिर है, यदि सुषमा स्वराज ने इस मामले में निजी एवं पारिवारिक हितों को ऊपर नहीं रखा है, तो उन्हें इस प्रकरण में उठते सवालों पर ठोस तथ्यों के साथ अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए. साथ ही, केंद्र सरकार यदि इस पूरे प्रकरण की जांच की घोषणा करती है, तो विपक्ष के शोर को जनता खुद अनसुनी कर देगी.