उनके बैग पर गिरी भोज्य सामग्री को जब एयर होस्टेस ने साफ करने से मना किया तो पप्पू यादव ने उसे चप्पल से मारने की धमकी दी. दिल्ली में विमान उतरते वक्त अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को बुलाना पड़ा, ताकि बखेड़ा न खड़ा हो जाये. दूसरी ओर पप्पू यादव ने इस घटना से खुद को अलग बताया है. उनका कहना है कि बिजनेस क्लास के दूसरे चार यात्रियों से बकझक हुई थी. उनका इससे कोई संबंध नहीं है. एयर होस्टेस और पप्पू यादव के अपने तर्क-पक्ष हो सकते हैं, लेकिन इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है कि इससे एक बार फिर बिहार की छवि को बट्टा लगा है. लोग राजनीतिज्ञों पर सहज रूप से एतबार नहीं कर पाते, तो इसकी वजह उनकी छवि है. पप्पू यादव की छवि दबंग की रही है. हालांकि वह इस पर आपत्ति जाहिर करते हैं.
समझने की जरूरत है कि दंबग की छवि व्यक्तित्व सापेक्ष होती है. आपके आचरण-व्यवहार, बोल-चाल से व्यक्तित्व का गठन होता है. बहरहाल, मौजूदा चिंता बिहार की छवि को लेकर है. यह छवि राजनीतिज्ञों और रसूखदार लोगों के आचरण से बनती-बिगड़ती है. लोगों को याद है कि कैसे पहले एयरपोर्ट के रन-वे पर राजनीतिज्ञ हंगामा करने पहुंच जाते थे और किस प्रकार राजधानी एक्सप्रेस को पटना जंक्शन पर तब तक रोक कर रखा जाता था, जब तक राजनीतिज्ञ और वीवीआइपी लोग उस पर सवार नहीं हो जाते थे. यह सब हजारों यात्रियों को मुश्किल में डाल कर किया जाता था.
यह कोई कैसे भूल सकता है कि सालों पहले दो राजनीतिज्ञों के बीच किस तरह सरेराह गोलीबारी होने लगती थी. लोगों में एक अनजाना डर समाया रहता था. बाहुबली राजनीतिज्ञों के बंदूकधारी बेखौफ मटरगश्ती करते थे. माहौल बदला, तो बीते करीब एक दशक से ऐसी घटनाएं नहीं हो रही थीं. यह भरोसा जग रहा था कि बिहार की छवि अपना नया रूप गढ़ने की ओर है. ऐसे में इस वाकये ने सबको चिंता में डाल दिया है. बिहार की छवि को लेकर संजीदा रहने वाले लोग इससे निश्चित तौर पर परेशान हुए हैं. विमान में जो कुछ हुआ, उसकी असलियत तो किसी जांच से ही सामने आयेगी, पर इससे बिहार को जितना नुकसान होना था, वह तो हो चुका.