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हर जगह खतरे में घिरी है स्त्री
संपादक महोदय, आज महिलाओं पर हो रहे अत्याचार दिन-प्रतिदिन और भी वीभत्स रूप धारण करते जा रहे हैं. महानगर से लेकर छोटे शहरों तक कोई भी जगह महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. जहां न्याय की गुहार की जाती है, वह जगह भी सुरक्षित नहीं है. घर में भी उसे प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता […]
संपादक महोदय, आज महिलाओं पर हो रहे अत्याचार दिन-प्रतिदिन और भी वीभत्स रूप धारण करते जा रहे हैं. महानगर से लेकर छोटे शहरों तक कोई भी जगह महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. जहां न्याय की गुहार की जाती है, वह जगह भी सुरक्षित नहीं है. घर में भी उसे प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता है. परिवार के मर्दो द्वारा उसे कई प्रकार की प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता है.
औरतों को कहा जाता है कि वे खुद बाहर क्यों नहीं निकलतीं. मगर जब वह थोड़ी हिम्मत जुटा कर आगे बढ़ती हैं, तो कोई ऐसी घटना घटित हो जाती है, जो उनकी हिम्मत तोड़ देती है. यात्र के दौरान भी उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आज की बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाएं तक सुरक्षित नहीं हैं. आखिर हमारे समाज में उन्हें सुरक्षित माहौल कब मिलेगा?
प्रतिभा तिवारी, मधुपुर
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